ताजा प्रविष्ठियां

Saturday, January 15, 2011

"और ये चिंतामुक्त हो जाएँ"

महँगाई के लिए;
सरकार
चिंतित है
सरकार
ही नहीं;
सरकार
कीसरकार”,
और
;
युवराजभी चिंतित है
उनके
सारे मंत्री,
और;
मंत्रियों केसंतरी”(सचिव),
सभी
चिंतित हैं
पर
!
"महँगाई से परेशान";
जनता के लिए नहीं,
बल्कि
;
महँगाई
को,
सही
ठहराने के लिए
वो
चिंतित हैं,
ऊपर
-नीचे होते;
सेंसेक्स
से
वो चिंतित हैं,
विकास
दर की;
कम
रफ़्तार से
वो चिंतित हैं,
कि;
अमीरी
बढ़ गयी है,
इसलिए;
महँगाई
बढ़ रही है
वो ! चिंतित हैं;
इतना
चिंतित हैं…..
इतना
......
कि…. इतना
इतना
मानसिक
रोगी
जैसे लगने लगे
"इनकी चिंता" में से,
भगवान करे;
"
बिंदी" हट जाए,
और
ये चिंतामुक्त हो जाएँ
सूरत ऐसी लगने लगी है;
आम
जनता को,
जैसे;
कोई पागल,
उनके
हाथ से रोटी;
छीन कर, और फिर !
चिढ़ा-
चिढ़ा कर
दिखा
-दिखा कर खा रहा हो
साथ
ही,
कह
रहा हो;
कर
लो तुम वो
जोतुमसे हो
सकता
हो
जाओ मेरे;
ठेंगे
से

No comments:

Post a Comment

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें