महँगाई के लिए;
सरकार चिंतित है।
सरकार ही नहीं;
सरकार की “सरकार”,
और;
“युवराज” भी चिंतित है।
उनके सारे मंत्री,
और;
मंत्रियों के “संतरी”(सचिव),
सभी चिंतित हैं।
पर !
"महँगाई से परेशान";
जनता के लिए नहीं,
बल्कि;
महँगाई को,
सही ठहराने के लिए।
“वो”
चिंतित हैं,
ऊपर-नीचे होते;
सेंसेक्स से।
वो चिंतित हैं,
विकास दर की;
कम रफ़्तार से।
वो चिंतित हैं,
कि;
अमीरी बढ़ गयी है,
इसलिए;
महँगाई बढ़ रही है।
वो ! चिंतित हैं;
इतना चिंतित हैं…..
इतना......
कि…. इतना…
इतना मानसिक
रोगी जैसे लगने लगे।
"इनकी चिंता" में से,
भगवान करे;
"बिंदी" हट जाए,
और
ये चिंतामुक्त हो जाएँ ।
सूरत ऐसी लगने लगी है;
आम जनता को,
जैसे;
कोई पागल,
उनके हाथ से रोटी;
छीन कर, और फिर !
चिढ़ा-चिढ़ा कर
दिखा-दिखा कर खा रहा हो।
साथ ही,
कह रहा हो;
कर लो तुम “वो”
“जो” तुमसे हो
सकता हो।
जाओ मेरे;
ठेंगे से ।
No comments:
Post a Comment
हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें