भगवान करे इनकी आवाज बंद हो जाये, या कोई इनके मुहं पर टेप चिपका दे। हे भगवान इन्हें सद्बुद्धि दे ! इन्हें नहीं पता इनके छोटे से समाचार से गरीबों को खाने के लाले पड़ जाते हैं। फिर ये तो महँगाई के ऊपर आपस में एक-दूसरे से होड़ लगा कर बड़े-बड़े समाचार दिखा देते हैं। जिस महँगाई को हमारे पास पहुँचने में महीने लगने चाहिए थे वो घंटे-दो घंटे में पहुँच जाती है। ये महँगाई की भविष्यवाणी करके महँगाई बढ़ा देते हैं, ये फसल न होने की भविष्यवाणी करके महँगाई बढ़ा देते हैं, ये किसी वस्तु के आयात पर रोक होने की खबर को सनसनी बनाकर महँगाई बढ़ा देते हैं,या निर्यात होने की खबर से महँगाई बढ़ा देते हैं; कहीं ये आयात निर्यातकों से तो मिले नहीं हैं ? ऐसा शक होता है। हमने तो इन समाचार चैनलों को लोकतंत्र रूपी खेत की "बाड़" समझा था पर ये बाड़ तो अब फसल खाने लगी है।
(कोई माने या न माने पर मेरा मानना है कि; टी.वी. के “न्यूज चैनल” महँगाई बढ़ाते हैं। सौ प्रतिशत न सही नब्बे प्रतिशत तो इनका योगदान महँगाई बढ़ाने में जरुर है। अब ये अलग बात है कि आखिर इनका लाभ क्या है ? या तो ये बिचौलियों से मिले होते हैं अपने समाचारों के द्वारा उनको लाभ पहुंचाते हैं और अपना हिस्सा वसूलते हैं या विपक्षियों से मिल कर सरकार को घेरने के लिए ऐसा करते हैं। कोई न कोई कारण तो है जो ये ऐसा करते हैं। मैं पिछले लगभग पांच-सात बार के “महँगाई के आक्रमण” से देख रहा हूँ; समाचार पहले आता है महँगाई बाद में आती है। जिस महँगाई को हमारे पास पहुँचने में एक महीना लगता वह चार घंटे में पहुँच जाती है। और बिचौलियों की मौज हो जाती है उनका जो माल दस की खरीद का था वो सौ का हो जाता है। यहाँ तक कि सड़े हुए माल के तक दाम पांच गुने बढ़ जाते हैं )।
बिलकुल सही कहा ...
ReplyDeleteसही कहा आपने ! वास्तव मै ऐसी खबरें और गैर जिम्मेदार नेताओं की बयानबाजी ही जमा खोरों को प्रोत्साहित करती हैं ,
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की हार्दिक शुभकामना ! भगवान् से प्रार्थना है कि नया साल आप सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और शान्ति से परिपूर्ण हो !!
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