क्योंकि ये व्यवस्था ही खोखली है इसमें न कुछ प्राकृतिक है न सांस्कृतिक | हमारी स्वदेशी व्यवस्था में न जंगल ख़त्म होने का भय था न पानी सूखने का, न अनपढ़ रह जाने का अपमान था न बेरोजगारी की मज़बूरी, न बड़ा अधिकारी होने का दंभ था न उच्च शिक्षित हो कर उजड्ड नेताओं के पांव छूने की लाचारी | क्योंकि “अपना हाथ जगन्नाथ” था | हर कोई अपनी विद्या में निपुण था |
हमारी वो पारंपरिक व्यवस्था जिसमे नौकरी की मानसिकता नहीं थी,जिसमे उद्योगों का केन्द्रीकरण नहीं था,जिसमे शिक्षा-चिकित्सा का केन्द्रीकरण नहीं था वह अंग्रेजों ने योजनाबद्ध तरीके से ख़त्म करने के लिए जो व्यवस्था बनायीं थी वह ही आजादी के बाद लागू रही जिसका परिणाम आज देश भोग रहा है | |
आज इस बात को कहना मजाक सा लगता है कि इस व्यवस्था के आलावा भी कोई व्यवस्था हो सकती है; विश्वास नहीं होता | जबकि पहले जो व्यवस्था यहाँ थी उसके कारण हम विश्व में श्रेष्ठ थे हमारी अर्थव्यवस्था विकेन्द्रित होने के कारण कोई गरीब नहीं था सब संपन्न थे | बिमारियों का इलाज करने पर बीमारी बढती नहीं थी, अपराध ख़त्म करने के नाम पर अपराध बढ़ते नहीं थे,रोजगार के लिए लोग सरकारों का मुहं नहीं ताकते थे, और सुरक्षा के लिए फ़ौज की कमी नहीं होती थी |
हमारी इसी स्वतंत्रता को समाप्त करने के लिए अंग्रेजों ने जो व्यवस्था (कु) चक्र यहाँ चलाया था वह हमारे आजादी के समय के तथाकथित नेता नहीं समझ पाए | जो समझे थे महात्मा गाँधी ! उन्हें मंदिर के भगवान की तरह लोगों के मन में बैठा कर उनके नाम से एक नेता भ्रष्ट पुजारी की तरह मनमानी करने लगा और उसने किसी की नहीं सुनी |
उस व्यवस्था के कारण हमारे पारंपरिक कुटीर उद्योग चाहे लोहे का हो या मिटटी का, चाहे शिक्षा हो या चिकित्सा या घरेलु सामान का, सब बड़े उद्योगों की भेंट चढ़ गया | वो संपन्न लोग आज नौकरियों की तलाश में भटक रहे हैं जो कभी सिद्धहस्त कारीगर होते थे कपड़ा बनाना हो या कुल्हाड़ी, बाल्टी बनाना हो या खेत में चलाने के लिए हल, सुई बनानी हो या संबल सब घर-घर में कारीगर थे और केवल कारीगर ही नहीं थे कुशल आविष्कारक भी थे | इसी व्यवस्था के कारण कोई अशिक्षित नहीं था, घर-घर में वैद्य शिक्षक और सुरक्षा के लिए सैनिक होते थे |
आज की व्यवस्था में एक बुराई का समाधान करो तो उसके कारण दूसरी बुराई खड़ी हो जाती है जैसे एक बीमारी के इलाज की दवा खाते- खाते उस दवा के दुष्प्रभाव से दूसरी बीमारी हो जाती है | एक समस्या का समाधान ही तब होता है कि उससे बड़ी समस्या पैदा कर दी जाये |
इसका उपाय है अपने इतिहास को जानना; जो गलतियाँ हुयीं उन्हें सुधारना और जो अच्छाईयाँ हैं उन्हें स्वीकारना | इस व्यवस्था को चरण बद्ध तरीके से समाप्त करना |
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