नहीं रुकेगा-नहीं रुकेगा- भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा , भ्रष्ट आचरण- जिंदाबाद, जो भ्रष्टों के हित की बात करेगा- वही देश पर राज करेगा, नहीं रुकेगी-नहीं रुकेगी-रिश्वत खोरी नहीं रुकेगी, खरीद-फरोख्त न होगी तो-सरकार कैसे चलेगी।नारे लगाते हुए अगर जलूस निकालना हो तो सोचो कैसा लगेगा ?
अजी साहब ये तो बेशर्मी मोर्चे जैसी ही बात हो गयी। बेशक जलूस का विरोध करने कोई नहीं आएगा पर अन्दर ही अन्दर सब हँसेंगे। खुलेआम नंगे तो नहीं हो सकते न। तो क्या करें ? जो इतना बड़ा आन्दोलन स्वामी रामदेव ने चला रखा है वो हर प्रकार के भ्रष्टों और बुराई के विरोध में है। अब इसका विरोध करें तो कैसे करें ? और न करें तो सब कुछ जाने वाला है जब पांच साल में ही ये हाल है तो अगले पांच साल में और क्या-क्या होगा पता नहीं ? फिर ! इनका विरोध कैसे करें ?..............
( इस लेख का किसी घटना क्रम से मिलना संयोग ही हो सकता है वास्तविकता नहीं । इससे किसी की भवनाओं को ठेस पहुँचाने लेखक का कोई इरादा भी नहीं। वर्तमान आन्दोलनों के परिप्रेक्ष में लिखा गया ।)
दूसरा द्रश्य :
‘पता नहीं इन स्वामी को भी क्या पड़ी थी' ? 'आराम से अपना इतना बड़ा साम्राज्य बना लिया था हमने भी कभी किसी बात के लिए विशेष परेशान नहीं किया; लगे फिर भी सुभाष चन्द्र बोस बनने, नाक में दम कर रखा है'। एक कोई बड़े नेता बोल रहे थे। ‘खून खौल जाता है जब-जब सुबह टी.वी. पर देखता हूँ’। एक खानदानी चमचे नेता ने उनकी बात को आगे बढाया। ‘ये तो खुली बगावत है’एक और बुद्दिजीवी प्रकार के व्यक्ति ने उकसाया। 'जैसे; देश से सब बुराईयाँ ख़त्म करने ठेका इन्हीं के पास हो'।
आखिर क्या होगा हमारा……? माननीय ! कुछ तो करो। पिछले पांच साल से कह रहे हैं कि इन बाबा जी के तेवर ठीक नहीं दिख रहे,योग तक तो बात ठीक थी; बहुत से योग गुरु योग सिखा रहे हैं, पर इन्होने बड़ी चालाकी से संस्कारों और देशभक्ति की बात करके; पुराने इतिहास की बात करके लोगों के दिमागों को बदलना शुरू कर दिया। अब बताओ सभी आयुर्वेद को समझ लेंगे तो इतनी बड़ी-बड़ी दवा कम्पनियों का क्या होगा ? जनाब ! कोला को तो "टॉयलेट क्लीनर” के नाम से बच्चे-बच्चे की जुबान पर प्रसिद्द कर दिया है। सच ! अब तो हम भी पीते हैं तो ध्यान आ जाता है;सुना है उनकी बिक्री में तो बहुत कमी भी आ गयी। इस तरह तो हम बरबाद हो जायेंगे। कोई विदेशी कम्पनी हमारे देश में क्यों आएगी ? यहाँ सभी स्वदेशी समान बिकने लगेगा तो;क्या ये यहाँ आकर झक मारेंगी ?
एक बंद कमरे में पंद्रह-बीस लोग बैठे थे। गोपनीय चर्चा चल रही थी। हालाँकि बोलने में कोई फुसफुसाहट नहीं थी, पर;खुलापन भी नहीं था। गंभीरता और चिंतन का माहौल था। ये किसी का फार्म हॉउस था। उसमे मुख्य प्रवेश द्वार से दूर बीचोबीच बने भव्य भवन के कौने वाले कमरे में ये सभा चल रही थी। सभी उच्चकोटी के चिन्तक-विचारक लग रहे थे। एकाध कोई धर्म गुरु भी बैठे हुए थे। चर्चा जारी थी………।
एक बोला….’अब तो देश का बच्चा- बच्चा जान गया है कि भ्रष्टाचार क्या होता है’। दूसरा ‘बाबा तो पिछले पांच साल से समझाने में लगा है’। देश के सभी नागरिकों को एक-एक बात समझ में आ गयी है। एक वक्ता बैठे-बैठे ही बोल रहा था। उनके सामने विशेष प्रकार के गिलासों में तरल द्रव्य भरा हुआ था। तभी एक दूसरा बोला; ‘महोदय ! भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार अब तो कोई भी व्यवसाय करना मुश्किल हो गया है क्योंकि वो बाबा तो शराब,गुटखा,तम्बाकू,बीडी-सिगरेट और भी सब ऐसी वस्तुएं जिनमे कुछ कमाई है उनका विरोध कर रहा है। उसकी स्वदेशी समान की बातों के कारण लोग बड़े प्रभावित हो रहे हैं’। अब एक धर्म गुरु प्रकार का जो बैठा था बोला ‘हमने बदनाम करने की बहुत कोशिश कर ली पर नहीं हो पाया; अब ज्यादा खुल कर कुछ कर भी तो नहीं सकते, लोग हमें ही न समझ जाएँ कहीं; क्या करें’ ? अब एक महोदय जो कुछ नेता जैसे लग रहे थे, थोड़ा चिंतित से और कुछ व्यग्र स्वर में बोले अरे भाई सब पता है हमें, इन बाबाजी के कारण तो सबकुछ गड़बड़ होने जा रहा है तुम सबसे ज्यादा तो हमें नुकसान होने जा रहा है कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करें ? ‘कुछ तो करो ……. जी’।
अच्छा क्या करें बताओ ? भ्रष्टाचार-बुराईयों,विदेशी कम्पनियों और काले धन के समर्थन में रैली निकालें ।
अब कुछेक मीडिया से जुड़े हुए लोग बोले; जैसे किसी लाईन को बिना मिटाए उसे छोटी करने का आसन तरीका है उसके बराबर में उससे बड़ी लाईन खींच दो, वह अपने आप छोटी दिखेगी । पर कैसे होगा ये.... , सब हो जायेगा बस आप लोग जैसा-जैसा हम कहें वैसा करो; हमें भी इन बाबाजी से बहुत नुकसान हो रहा है । इस तरह सभी को अपनी बात समझाने लगे..................; और कुछ दिन बाद एक आन्दोलन देश के लोगों को देखने को मिला। अब वो सभी खुश थे कि चलो अब भ्रष्टों का "कुछ तो" बच जायेगा।
बढ़िया लिखा है भाई......
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