आजकल देश में आंधी चल रही है। दुनिया के कई देशों से होते हुए यहाँ अब पहुंची है। वैसे पहले भी आंधी का प्रयास हुआ; पर “पेशेवर हवाबाजों” ने “पता नहीं क्यों”? इतनी हवा नहीं उड़ाई। उलटे जो उड़ी भी; उसे छितरा दिया। पर इस बार तो ! ........ मजा आ रहा है।
बड़े-बड़े "दरख्तों" की नाक में दम हो रखा है। कब उनकी जड़ें उखड जाएँ पता नहीं। छोटे-छोटे "बूटे" मस्ती में हवा को तेजी दे रहे हैं कि इन बड़ों के कारण हम बढ़ नहीं पा रहे। ये हटें तो कुछ खाद-पानी हम भी चूसें; "जमीन से"। बहुत से बूटे और कुछ झाड़-झंखाड़ जो बड़े दरख्तों के आस-पास हैं घबराये हुए हैं; कि अगर ये गिरे तो उन्हें भी नुकसान पहुंचेगा; क्योंकि उनके तो सरपरस्त यही दरख़्त हैं। बड़ी से बड़ी आंधी में भी इन दरख्तों की वजह से वो बचते रहे है। पर ये आंधी ! ........ ।
हम भी आंधी में उड़े जा रहे हैं। क्या करें ? जरा शहरों से दूर हो गए; वरना हम भी न्यूज चैनलों पर दिन भर में दो चार बार तो दिख ही जाते। दुकानदारी का क्या है जिंदगी भर करनी है। आंधी में उड़ने का मजा फिर कब मिलेगा ?
वैसे दिल्ली से दूर रहने का हमें कभी मलाल नहीं हुआ, पर आजकल लग रहा है कि “टी.वी.पर आंधी देखने का मजा और है;आंधी में दिखने का मजा कुछ और”। एक और “मलाल” हो रहा है कि हम ऐसी जगह रहते हैं जहाँ कोई न्यूज चैनल वाले वहीँ पहुंचते न्यूज कवर करने को, (न्यूज दिखाने वाले तो तीन-चार चैनल हैंजो महंगाई बढ़ाने का कम पांच मिनट में कर देते हैं), अख़बार वाले उतनी अहमियत देते नहीं, इसीलिए यहाँ अभी तक आंधी नहीं पहुच पाई।
हम लोगों ने प्रयास किया कि आंधी की कुछ लहरें यहाँ भी पहुंचें पर पर लोग बड़े "बुद्धिमान" हैं वो हम पर ही ऊँगली उठा देते हैं; दुकानदार होकर भ्रष्टाचार के विरुद्ध.... ! मानो इस देश में सबसे ज्यादा भ्रष्ट दुकानदार ही हो। पर एक बात की गारंटी मैं देता हूँ अगर कोई न्यूज चैनल वाले यहाँ भी होते तो फिर देखते कैसी आंधी यहाँ भी चलती। सब अपने गधे-घोड़ों को इकट्ठा कर टी.वी. में दिखने को आतुर होते। किसी नेतृत्व की जरुरत ही नहीं पड़ती। हर कोई अपनी मर्जी से अपने रिस्क पर शामिल होता; टी. वी. में दिख गया तो वा - वा; न दिखा अपनी किस्मत, जैसे लॉटरी के टिकट में होता है। जो ढंग से "आंधी" बोल नहीं सकते उन बच्चों को लेकर माता-पिता पहुँच गए कि इनके कारण हमारा चेहरा दिख जायेगा चैनल पर। नए-नए तरीके इजाद होने लगे हैं आंधी में उड़ने को; ताकि टी. वी. पर दिख जाएँ । जो नहीं उड़ पा रहे वो इंतजार करें ।
इस आंधी को शुरू करने वालों ने इसमें दोबारा आंधी उड़ाने की गुन्जायिश छोड़ी हुयी है जैसे आजादी के समय तत्कालीन नेताओं ने दोबारा आजादी के आन्दोलन के लिए गुन्जायिश छोड़ दी थी। तभी तो अब नई आजादी का आन्दोलन करना संभव हुआ। लेकिन इसमें भी गुन्जायिश छोड़ने की बात पहले ही तय हो गयी है। लोगों को समझा दिया गया है कि भ्रष्टचार केवल साठ प्रतिशत कम होगा बाकी चालीस तो जीने के लिए आवश्यक है। फिर से कुछ सालों तक "कुछ खानदान" भावी पीढ़ियों के लिए धन एकत्र करेंगे और फिर कोई आंधी उन्हें उड़ा कर कहीं पटक देगी और वे चैन से लूटे हुए धन से कहीं अय्याशी करेंगे।
इससे सब खुश हैं; जो नहीं हैं वो कौन सा टी. वी.पर दिख रहे हैं। टी.वी. पर या तो विरोधी दिखेगा या मैदान में नाचने वाला समर्थक।
खैर साहब एक बात तो समझ आ गयी कि इस युग में बिना टी. वी. न्यूज चैनल के कोई आंधी नहीं उड़ाई जा सकती। उनकी नब्ज पकड़ो, उनको "टैकल" करना आना चाहिए, ये देखना जरुरी है कि तुम्हारी उड़ाई जा रही आंधी से उनके हितों पर चोट तो नहीं लग रही। हाँ ! मानसिकता में भी एक रूपता होनी आवश्यक है; अब तो ऐसी आंधियो से डर भी लगता है कोई भी कैसी भी आंधी उड़वा सकता है। विज्ञापन का दौर है ना । जो दिखेगा बिकेगा , बिकेगा तो और ज्यादा दिखेगा बस उड़ गयी आंधी। शुरू में एकाध न्यूज चैनल वालों को पकड़ो; खिलाओ-पिलाओ दोस्ती बनाओ; फिर तो अन्य सभी में अपने आप होड़ लग जाएगी। और आपकी आंधी उड़ने लगेगी। बाकी कंप्यूटर जीमेल,फेशबुक इत्यादि का भी पूरा ज्ञान होना चाहिए। इसमें लोगों की टी. वी. पर दिखने की अभिलाषा आपकी सहायक होगी।
और हाँ ! एक बात तो मैं भूल ही गया, कोई ऐसा व्यक्ति भी होना चाहिए जिसका दिल-दिमाग बच्चों जैसा हो। जो तुम्हारी बातों को मान ले, जिसकी थोड़ी बहुत पहचान जनता में हो,दिखने में मासूम स लगे, टी.वी.पर दिखाना पड़ेगा न ........ ।
लो मैं तो इस आंधी के फेर में जन्माष्टमी की शुभकामनायें देनी भी भूल गया । सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
आज 23 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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चाहे कुछ भी हो आंधी तो ज़बरदस्त है ... जन्माष्टमी की शुभकामनायें
ReplyDeleteअब देखो ऊंट किस करवात बैठता है दोस्त जी :)
ReplyDeleteअब देखो ऊंट किस करवट बैठता है दोस्त जी .......श्री कृष्ण जन्माष्टमी कि हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteप्रिय बंधुवर शंकर फुलारा जी
ReplyDeleteसादर वंदे मातरम् !
अच्छा आलेख है … वर्तमान आंधी में हर किसी को खड़े रह कर अस्तित्व बचाना है …
एक शे'र आपकी सेवा में -
माना कॅ मुश्ते-ख़ाक से बढ़ कर नहीं हूं मैं
फिर भी हवा के रहमो-करम पर नहीं हूं मैं
पुनः आभार और मंगलकामनाएं !
विलंब से ही सही…
♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार