अब फूटेगा भ्रष्टाचार का गुब्बारा। बहुत माल भर लिया, अब सीमा से अधिक हो गया है। अति होने के बाद ही इति होती है। अब जनता को भी लगने लगा है कि; हमारा हक़, ये नेता, ये अधिकारी और इनके रिश्तेदार-ठेकेदार कैसे खा रहे हैं।
जितना हजम करने की शक्ति हो उससे कहीं अधिक; बदहजमी होने की सीमा तक खा रहे हैं। और बार-बार खा रहे हैं। फिर; जैसे दस्त लग जाते हैं और अतिसार होने पर अपने को संभाल नहीं पाते,वैसे ही ये समाज में गंदगी फैलाते हैं कहीं शादियों के नाम पर फिजूल खर्ची कहीं पार्टियों के नाम पर नग्न प्रदर्शन, कहीं इनके लाडले-लाडलियां नशे में धुत्त बड़ी-बड़ी गाड़ियों में कुकर्म करते हुए गरीबों पर ही गाड़ियाँ चढ़ा देते हैं।
ये सब भ्रष्टाचार रूपी रावण की संतान हैं। जिसने अपने घमंड में अपनों को छूट देदी है कि सत्ता हमारे हाथ है तुम कुछ भी करो कुछ नहीं होगा। और हुआ भी नहीं आजादी के बाद तो ये भ्रष्टाचार बढ़ता ही गया सभी राज करने वाले इसके दोषी हैं केवल अँगुलियों पर गिनने लायक कुछ को छोड़ दें तो।
लेकिन अब नहीं होगा पिछले कई वर्षों से इसके विरोध की तैयारी कर रहे स्वामी रामदेव जी ने इसके विरुद्ध पहली एफ आई आर दिल्ली में एक थाने पर लिखा दी; फिर जंतर-मंतर पर आम धरना और सभा की। ख़ुशी की बात यह रही कि इस मुहिम में देश के भ्रष्टाचार विरोधी लोग एक मंच पर दिखाई दिए । जाहिर है अब भ्रष्ट बौखलायेंगे ही। अब उनकी नाक के पास पानी आ गया है, मीडिया के भ्रष्ट, राजनीति के भ्रष्ट, धर्म नीति के भ्रष्ट, सभी बौखला गए हैं, और अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझ कर बाबा के विरोध में जहर उगल रहे हैं।
मीडिया बड़े ध्यान से बाबा के शब्दों को पकड़ने में लगा है, शिविर के दौरान बाबा जी क्या कहते हैं क्या मीडिया ने इतने ध्यान से पिछले पांच साल से कभी देखा ? नहीं ? लेकिन अब देख रहा है, बाबा के किन शब्दों से क्या बबाल हो जाये। अगर बाबा जी छोटी-छोटी बातों पर उलझ जाएँ तो, बड़ी पार्टियों को चैन मिलेगा और आशीर्वाद मीडिया के साथ होगा, जिधर मर्जी चाभी घुमवायेंगे; इसलिए बाबा के शब्दों पर ध्यान देना जरुरी है। एकाध गुजर चुके भ्रष्ट नेता की भ्रष्ट औलाद ने भी बाबा को सलाह देने की कोशिश की ।
उत्तराखंड के कुछ मानसिक रूप से कमजोर, अपने को क्रन्तिकारी मानने वाले लोग भी भड़के; जैसे चोर की दाढ़ी में तिनका होता है वैसे ही। उनका शक न जाने अपने ही मंत्री पर क्यों गया ? अभी तो कोई नाम सामने नहीं आया था । लेकिन अपनी पार्टी के मंत्री को पटखनी देने का ऐसा अवसर फिर कब मिलता ? जब से मंत्री बने हैं कई बार विरोध किया कुछ असर नहीं पड़ा । ऐसे ही कोई बाबा भी विरोध में बोल रहा है क्योंकि बाबा जी पाखंड जैसे हठयोग इत्यादि का विरोध करते हैं, जिससे उनका भी धंधा पानी बंद होने का खतरा बन गया है ।
नाम बताओ की रट लगा रखी है; क्या होगा नाम बता कर ? जिनका नाम पता है; उनका क्या उखाड़ रहे हो ? आज के हालत में है कोई ईमानदार तुम्हारा साथी ? इस पार्टी या उस पार्टी का; तो तुम सभी मिलकर उसका नाम बतादो न । किसी एक ईमानदार का नाम बताओ फिर पूछना। और रही सबूतों की बात तो रिश्वत मांगने का साबुत क्या हो सकता है वह भी बता देना ।
खैर अब तो आन्दोलन इतना विस्तार पा गया है कि अब आरोप और प्रत्यारोप का दौर शुरू होगया है ऐसे में देखना ये होगा कि कौन भ्रष्टों के साथ है और कौन सत्य के साथ।
उत्तर प्रदेश में तो अब बाबा की रैली पर भी रोक लगा दी है, वीडियोग्राफी के आदेश दिये हैं... सत्ताधारियों के अन्दर की छटपटाहट दिखाई दे रही है..
ReplyDeletefulara ji yakin maniye kal se soch rahahun ki main bhi apni pratikirya vyakt krun. lakin samajh main nahi aa raha hai ki kya vyakt karun ..uttrakhand mainto halat yh hain ki gaon abhi pura basa nahi or luterey aa dhamkey hain. swami raam dev ji se prabhawit hun lakin nirash hun to dsh ki janta se .....kya aapko nahi lagta hai ki kahin n kahi bharastachaar or bharastachariyon ko badhawa deney main janta ka bhi pura samarthan hasil hai ?
ReplyDelete