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Wednesday, September 30, 2009

चलो दिलदार चलो

चलो दिलदार चलो
चाँद के पार
(मंगल पर) चलो
हम हैं तैयार चलो ,
मिल गए चलने को साथ
कुछ मित्र,
और हैं तैयार चलो
लगते भी हैं काफी होशियार चलो
चलो दिलदार चलो
चाँद के पार
(मंगल पर) चलो।
मेरी पोस्ट ....... दुनिया ख़त्म........ पर आयीं टिप्पणियों से पता लगा कि चाँद के पार चलने को सभी तैयार हैं। सुनील रावत जी काजल कुमार जी, प्रदीप कान्त जी और पं.डी. के. शर्मा वत्स जी को तो साथ लेजाना मुश्किल है, क्योंकि उड़नतश्तरी में दो की जगह ही खाली है , उसे उड़नतश्तरी वाले बिना बोली लगाये नही देने के , तो मैं सोच रहा हूँ कि अविनाश जी (वाचश्पति) को साथ लेजाया जाए, क्यों कि इनका सुझाव बहुत अच्छा है कि "पानी यहाँ से क्या लेजाना , रास्ते में चाँद पड़ेगा वहां से लेलेंगे"
बहुत अच्छा लगा ऐसे ही नए सुझाव वाले व्यक्ति को साथ लेजाना लाभकारी है।
अविनाश जी, रस्ते में सेटेलाईट भी मिलेंगे उनका मुहं उधर को ही करते चलेंगे ताकि ब्लोगिंग कर सकें। और भी मजेदार सुझावों का इन्तजार रहेगा। दुनिया के ख़त्म होने का इन्तजार.. ओह नहीं .. ! माफ़ करना
(दुनिया कभी ख़त्म न हो) मंगल पर जाने की तैयारी करते हैं।