दोस्तो ! इन लाईनों पर जरा चिंतन करना ..... ये कोई अध्यात्मिक उपदेशों की लाईनें नहीं हैं ;
भाई राजीव दीक्षित और
स्वामी रामदेव जी की बातो
से मुझे जो समझ में आया है ;
कि भारत समेत पूरे विकासशील देशों पर ईसाइयत का कब्ज़ा हो चूका है जिसे ये मुसलमानों की कट्टरता और मूर्खता से हर देश के मूल निवासियों के साथ लड़वा कर कायम रखने के प्रयास में हैं । जितनी भी वैशिवक संस्थाएं हैं इनके प्रमुख ईसाई और उन्हीं पश्चिमी देशों के हैं जो विश्व को अपना गुलाम बनाये रखना चाहते हैं विश्व बैंक,विश्व स्वास्थ्य संगठन,विश्व व्यापर संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष,यु एन ओ ....... आदि आदि ; इनके इस कार्य में सहयोग कर रहीं हैं ।
जो भी देश या उसका कोई नेता (चाहे चुना हुआ हो या अपने प्रयासों से बना हो) इनका विरोध करेगा या इनकी नहीं मानेगा तो उसका हस्र इराक,मिस्र,लीबिया,रूस और भी जाने कितने ऐसे देश होंगे जिन्हें इन्होने बर्बाद कर दिया ।
वर्ना जो राष्ट्राध्यक्ष अपने यहाँ चालीस चालीस साल से शासन कर रहा है और लोकप्रिय है वो अचानक पूरे देश के लिए दुश्मन बन जाये ! आश्चर्य होता है ।
*हमें ये गलत फहमी है कि हम वोट देकर अपने देश का नेता चुनते हैं ! ये केवल दिखाई देने वाली "प्रणाली" है देश का नेता उपरोक्त शक्तियां ही तय करती हैं जो नहीं दिखाई देने वाला सच होता है ।
विशेषकर जब कांग्रेस का बहुमत होता है ।
जैसे; "15 अगस्त को देश आजाद हुआ" ! केवल दिखावे वाला सच था, जबकि वास्तविकता में देश को और ज्यादा विदेशी गुलामी में शर्तों के साथ बाँध दिया गया ।
जैसे; "देश में न्याय व्यवस्था और कानून सबके लिए सामान है", जबकि वास्तविकता में ये सब ढकोसला विदेशियों के ज़माने से लागु है उन्होंने अपने लोगों को बचाने और आम जनता को गफलत में रखने को ऐसी न्याय प्रणाली बनायीं जिससे लोगों को लगे कानून अपना काम रहा है और उनके अपने अत्याचारी अधिकारी और मित्र मजे में अपना जीवन जीते रहें ।
*सबकुछ वही है जो जो सन सैंतालिस से पहले था ! नेताजी सुभास चन्द्र बोस का सच भी अभी सामने नहीं आया ! प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की म्रत्यु का सच ! और भी कई देशभक्त नेताओं और क्रांतिकारियों की मृत्यू का सच क्या है कोई नहीं जानता ।
अब जरुरत है ! इस साजिश को आपस में लड़ने वाले हिन्दू मुसलमानों को समझने की और उन तथाकथित नेताओं को पह्चानने की जो या तो उन शक्तियों के किसी न किसी दबाव में हैं या केवल अपने मुर्खता पूर्ण स्वार्थ वश एक दुसरे का भला करने का झांसा देकर सभी देश भक्तों को बांट कर रखते हैं ।
मुसलमानों को ये सोचना होगा कि जिन भलाई के मुद्दों को ये शुरू से उठा रहे हैं वो आज तक भी क्यों जस के तस बने हुए हैं । और हिन्दुओं को ये सोचना होगा कि कुछ मूर्ख और ईसाईयों की साजिश में फंसे मुस्लिमों की वजह से सारा मुस्लिम समाज गलत नहीं है ।
उन विदेशियों की साजिश को प्रत्येक देश में वहां का समाचार जगत और वहां की मुख्य राजनितिक पार्टी अन्दरखाने पूरा समर्थन करते हैं जैसे हमारे भारत में कांग्रेस और उसकी पिछलग्गू मीडिया, ये इस साजिश को थोडा सा भी लीक नहीं होने देते । केवल जनता का ध्यान भटके या निरर्थक विषयों पर उलझा रहे ऐसे समाचार दिखा दिए जाते हैं न मिलें तो बना दिए जाते हैं । उन समाचारों को प्रथमिकता दी जाती है जिससे राष्ट्रीयता की भावना का मखौल उड़े; धर्म अध्यात्म संस्कृतिक विरासत पर लोगों का विश्वास कम हो और वो अपना राज कायम रख सकें ।
उनके इस कार्य में कांग्रेस पिछले एक सौ सत्ताईस वर्षों से कार्यरत है ।
"जो दीखता है वो होता नहीं ! (या छोटा सच होता है मन बहलाने को ! )
जो वास्तव में होता है वो दीखता नहीं" ॥ (बड़ा सच, छुपा सच, उसे सब मानते नहीं ) | भाई राजीव दीक्षित और
स्वामी रामदेव जी की बातो
से मुझे जो समझ में आया है ;
कि भारत समेत पूरे विकासशील देशों पर ईसाइयत का कब्ज़ा हो चूका है जिसे ये मुसलमानों की कट्टरता और मूर्खता से हर देश के मूल निवासियों के साथ लड़वा कर कायम रखने के प्रयास में हैं । जितनी भी वैशिवक संस्थाएं हैं इनके प्रमुख ईसाई और उन्हीं पश्चिमी देशों के हैं जो विश्व को अपना गुलाम बनाये रखना चाहते हैं विश्व बैंक,विश्व स्वास्थ्य संगठन,विश्व व्यापर संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष,यु एन ओ ....... आदि आदि ; इनके इस कार्य में सहयोग कर रहीं हैं ।
जो भी देश या उसका कोई नेता (चाहे चुना हुआ हो या अपने प्रयासों से बना हो) इनका विरोध करेगा या इनकी नहीं मानेगा तो उसका हस्र इराक,मिस्र,लीबिया,रूस और भी जाने कितने ऐसे देश होंगे जिन्हें इन्होने बर्बाद कर दिया ।
वर्ना जो राष्ट्राध्यक्ष अपने यहाँ चालीस चालीस साल से शासन कर रहा है और लोकप्रिय है वो अचानक पूरे देश के लिए दुश्मन बन जाये ! आश्चर्य होता है ।
*हमें ये गलत फहमी है कि हम वोट देकर अपने देश का नेता चुनते हैं ! ये केवल दिखाई देने वाली "प्रणाली" है देश का नेता उपरोक्त शक्तियां ही तय करती हैं जो नहीं दिखाई देने वाला सच होता है ।
विशेषकर जब कांग्रेस का बहुमत होता है ।
जैसे; "15 अगस्त को देश आजाद हुआ" ! केवल दिखावे वाला सच था, जबकि वास्तविकता में देश को और ज्यादा विदेशी गुलामी में शर्तों के साथ बाँध दिया गया ।
जैसे; "देश में न्याय व्यवस्था और कानून सबके लिए सामान है", जबकि वास्तविकता में ये सब ढकोसला विदेशियों के ज़माने से लागु है उन्होंने अपने लोगों को बचाने और आम जनता को गफलत में रखने को ऐसी न्याय प्रणाली बनायीं जिससे लोगों को लगे कानून अपना काम रहा है और उनके अपने अत्याचारी अधिकारी और मित्र मजे में अपना जीवन जीते रहें ।
*सबकुछ वही है जो जो सन सैंतालिस से पहले था ! नेताजी सुभास चन्द्र बोस का सच भी अभी सामने नहीं आया ! प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की म्रत्यु का सच ! और भी कई देशभक्त नेताओं और क्रांतिकारियों की मृत्यू का सच क्या है कोई नहीं जानता ।
अब जरुरत है ! इस साजिश को आपस में लड़ने वाले हिन्दू मुसलमानों को समझने की और उन तथाकथित नेताओं को पह्चानने की जो या तो उन शक्तियों के किसी न किसी दबाव में हैं या केवल अपने मुर्खता पूर्ण स्वार्थ वश एक दुसरे का भला करने का झांसा देकर सभी देश भक्तों को बांट कर रखते हैं ।
मुसलमानों को ये सोचना होगा कि जिन भलाई के मुद्दों को ये शुरू से उठा रहे हैं वो आज तक भी क्यों जस के तस बने हुए हैं । और हिन्दुओं को ये सोचना होगा कि कुछ मूर्ख और ईसाईयों की साजिश में फंसे मुस्लिमों की वजह से सारा मुस्लिम समाज गलत नहीं है ।
उन विदेशियों की साजिश को प्रत्येक देश में वहां का समाचार जगत और वहां की मुख्य राजनितिक पार्टी अन्दरखाने पूरा समर्थन करते हैं जैसे हमारे भारत में कांग्रेस और उसकी पिछलग्गू मीडिया, ये इस साजिश को थोडा सा भी लीक नहीं होने देते । केवल जनता का ध्यान भटके या निरर्थक विषयों पर उलझा रहे ऐसे समाचार दिखा दिए जाते हैं न मिलें तो बना दिए जाते हैं । उन समाचारों को प्रथमिकता दी जाती है जिससे राष्ट्रीयता की भावना का मखौल उड़े; धर्म अध्यात्म संस्कृतिक विरासत पर लोगों का विश्वास कम हो और वो अपना राज कायम रख सकें ।
उनके इस कार्य में कांग्रेस पिछले एक सौ सत्ताईस वर्षों से कार्यरत है ।
हम लोग तो मानसिक गुलामी से उबर ही नहीं सके.
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