आसाराम बापू जी का सच तो जो भी होगा ! साल दो साल या हो सकता है दस साल भी लग जाएँ पता लगने में ! हो सकता है पता लगे ही ना ! क्योंकि न्याय और कानून व्यवस्था अपराधियों को बचाने और निरपराधियों को फंसाने के लिए ही है हिन्दुस्तान में । बहुत से केस हैं ऐसे; जिनका पिछले पचास सालों से सच झूठ का पता नहीं चला । 30-30, 35-35 सालों से जेलों में बंद ऐसे लोग बाहर निकले हैं जिन्हें अपने अपराध का पता ही नहीं था अन्दर न जाने कितने मर गए होंगे । वर्तमान में भी साध्वी प्रज्ञा व और भी हैं ।
लेकिन आसाराम बापू के केस में मीडिया ने अपना काम कर दिया है अब आप चिल्लाते रहो ।
मुख्य मकसद था संतों पर लोगों को भ्रम हो जाये ।
अब ये विश्लेषण करने की बात है कि ये उसमे कितना सफल हुए । लेकिन इनके द्वारा इस तरह बिना कोई अपराध साबित किये अपने शब्दों के चातुर्य से किसी को दोषी बना के पेश करना आने वाले समय में इनके लिए घातक होने वाला है ।
ये नहीं जानते कि भारत में इस तरह से कभी भी अपने धर्म अध्यात्म और अध्यात्मिक गुरु सत्ता के विरुद्ध अविश्वास नहीं फैला है । यहाँ तो खुले आम व्यभिचार करने वाले को भी महात्मा(श्रेष्ठ) का दर्ज दे दिया जाता है और उसके भी अंध भक्त करोड़ों में होते हैं । उसे पिता और चाचा घोषित कर दिया जाता है ।
उनके हथियार हैं भारत का मीडिया,भारत की सेकुलर पार्टियाँ,भारत के सेकुलर बुद्दिजीवी, भारत के मूर्ख और भावुक लोग, लालची लोग आदि आदि कमी नहीं है ।
लेकिन आसाराम बापू के केस में मीडिया ने अपना काम कर दिया है अब आप चिल्लाते रहो ।
मीडिया ने जो सिद्ध करना था वो कर दिया !बखूबी कर दिया !
अब चाहे बापू निर्दोष निकले या दोषी ।मुख्य मकसद था संतों पर लोगों को भ्रम हो जाये ।
अब ये विश्लेषण करने की बात है कि ये उसमे कितना सफल हुए । लेकिन इनके द्वारा इस तरह बिना कोई अपराध साबित किये अपने शब्दों के चातुर्य से किसी को दोषी बना के पेश करना आने वाले समय में इनके लिए घातक होने वाला है ।
ये नहीं जानते कि भारत में इस तरह से कभी भी अपने धर्म अध्यात्म और अध्यात्मिक गुरु सत्ता के विरुद्ध अविश्वास नहीं फैला है । यहाँ तो खुले आम व्यभिचार करने वाले को भी महात्मा(श्रेष्ठ) का दर्ज दे दिया जाता है और उसके भी अंध भक्त करोड़ों में होते हैं । उसे पिता और चाचा घोषित कर दिया जाता है ।
ये सब किसलिए हो रहा है ???
क्योंकि जब जब धर्म पर देश पर संकट आता है तब तब उसे बचाने को कोई न कोई ऋषि संत आता है और सफल होता है । आज भी भारत पर विदेशियों का वर्चश्व है वो नहीं चाहते यहाँ पर कोई भी संत सुधारों की बात करे । लेकिन पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से स्वामी रामदेव ने लगभग पुरे भारत को जगा दिया है उसके लिए उन लोगों को कोई आसान सा लक्ष्य चाहिए था ; "सॉफ्ट टारगेट" और वो उसकी तलाश में निरंतर रहते हैं जैसे ही कहीं भी मौका मिला अपना दांव चल दिया ।
कभी का इतिहास उठा कर देख लो जब भी भारत-भारतीयता पर संकट आया है कोई न कोई ऋषि इसे बचाने आया है । और इस समय ऋषि और संत ही इसे बचाने को सक्रीय होने लगे हैं । उनके हथियार हैं भारत का मीडिया,भारत की सेकुलर पार्टियाँ,भारत के सेकुलर बुद्दिजीवी, भारत के मूर्ख और भावुक लोग, लालची लोग आदि आदि कमी नहीं है ।