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Monday, February 14, 2011

चाहत है जमाना बदलने की


चाहत है जमाना बदलने की , चलते हैं ज़माने के साथ ही , इस बहाव से उलटे बहना , ये कोई मामूली बात नहीं । हँसेगी दुनिया तब भी हंसी थी, नारे लगते जब क्रांतिकारियों की टोली चली थी , सोचते थेवोगुलामी से तो अंग्रेजों की गोली भली थी, याद रखता है जमाना उनको , जो चलते बहाव से उलटे ही

1 comment:

  1. “वो” गुलामी से तो अंग्रेजों की गोली भली थी,
    ab kahan aise krantikaari jajbaat......chaklet kism ki yuva pidhi main .....
    abhaar..............

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