बेचारा नेता (मु०अ०नकवी सभ्य;शालीन)
"फँस गया मीडिया (टी० वी०न्यूज चैनल्स) प्रायोजित"
"फंदे में"
"नेताजी"(नकवी जी और अन्य भी)
"ये न्यूज चैनल हैं" (पहले कलम की धार वाली कहावत थी अब कैमरा और माइक की मार वाली कहावत बनानी पड़ेगी)
"दोधारी तलवार" (विलेन को हीरो बना दे, हीरो को ०००००)
"वैसे"
"आपने सोचना था" (टी० वी० पर दिखने के लिए क्रीम-पावडर लगाने की परम्परा तो है ही और टाई-कोट तो केवल सभ्य लोग ही पहनते हैं , आप तो अनुभवी हैं )
की न्यूज चैनल्स पर दिखने के लिए सजना-संवरना पड़ता ही है
चाहे शोक- मार्च हो या (लोकतंत्र विरोधी नारों के साथ)
शान्ति- मार्च ------ फ़िर बटन तो उनके (न्यूज चैनल)
ही हाथों में है । ये अपनी मर्जी की बात दिखायेंगे तभी तो शहीदों की चिताएं ठंडी भी नहीं हुई थी की इन्होंने उन्ही पर विवाद (बेमतलब का ) बढ़ा दिया ।(इनकी पत्रकारिता की जिम्मेदारी है )
जो बात ये कहते हैं की ग़लत है उसे बार-बार (शिल्पा-गेर चुम्बन मामला) दिखाते हैं।
क्योंकि इनकी मर्जी -------- और मर्जी किसकी होती है ------?
आपको पता होना चाहिए ।
विदेशी आई.एन.जी.ओ चाहते है की हम विदेश से नेता आयात कर उनको भारत का राज-काज चलाने के लिए दे दे। इस लिए वह ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर रहे जिस्मे देश के सभी नेताओ के प्रति अविस्वास पैदा करने की कोशीश की जा रही है। इस काम मे लिपस्टीक लिपी/पुती बहनो का उपयोग किया गया था। अगर आप विदेशी आई.एन.जी.ओ के कार्यो का समर्थन करते है तो नकवी जी का अवश्य विरोध करें।
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