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Wednesday, October 26, 2011

खोखली शुभकामनायें

कुमकुम भरे क़दमों से आये लक्ष्मी जी आपके द्वार,

सुख सम्पति मिले आपको अपार,
दीपावली
की शुभ कामनाएँ करें स्वीकार
"ये" और इस प्रकार की शुभ कामनाएं अब खोखली सी लगने लगी हैं | चाहे कोई हमें दे या हम किसी को दें, केवल औपचारिकता जैसा ही लगता है | दरअसल आजकल के मीडिया ने हमारे पर्वों-त्योहारों का इतना बाजारीकरण कर दिया है कि उनकी वास्तविकता को ही लोग भूल गए हैं |
पहले हम शुभकामना देते हैं;फिर सावधानी बरतने की नसीहत भी देनी पड़ती है जाने कौन सी मिठाई जहरीली या बीमार करने वाली निकल जायेविदेशी कम्पनियों की चौकलेटों का भी क्या भरोसा ? कैसे-कैसे केमिकल मिले होते हैं
अजी साहब घर में मिठाई बनाने के लिए भी कौन सा सामान है जो असली मिल जाये ? ऐसे में नसीहतें देने के आलावा क्या कर सकते हैं ? नसीहत भी केवल सावधान रहने की ही दे सकते हैं क्योंकि और तो अपने हाथ में कुछ नहीं है

2 comments:

  1. सही है .. सावधान कैसे रहें ??
    .. आपको दीपपर्व की असीम शुभकामनाएं !!

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  2. एकदम सही कहा है आपने। आज संवेदना, सहानुभूति, प्रेम प्यार मे कमी आई है। महज एक औपचारिकता बनकर रह गई है। बाकी बाज़ारीकरण तो है ही…॥ दीपोत्सव के चौथे दिन (वैसे इसे बड़ी दीवाली भी कहते हैं कुछ लोग) गोवर्धन पूजा की बहुत बहुत बधाई……।

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