ताजा प्रविष्ठियां

Monday, March 16, 2015

देखें अब कब तक लोग अपनी आँखों से टोपियां पीछे सरकाते हैं।


टोपियों का बाजार फिर से गर्म हो गया !  
घूम घूम कर दोबारा दोबारा जा रहा है !
मौसम एकदम से करवट लेता है और टोपियों के साथ मफलर आदि गर्म कपड़े जो संभाल दिए थे फिर से निकालने पड़ते हैं !
परेशान हो गए मौसम के इस अजीबोगरीब "मिजाज" से; कई बार टोपी उतार चढ़ा दी !
सर्दियों में तो चलो कोई बात नहीं गर्मियों में क्या होगा ?
वैसे ही लगातार टोपी पहनने से सर के बाल तो उड़ते ही हैं बुद्धि भी ताजा हवा मिलने से कुंठित सी हो जाती है।
और अगर टोपी कहीं थोड़ा सा आगे को सरक गयी तो ! आँखें बंद ; दुर्घटना का खतरा, भगवान बचाये टोपी से !
अब तो गर्मियों का मौसम रहा है !
अगर टोपी पहनी तो खोपड़ी गर्म पहनें तो कब मौसम बदल जाये कोई पता नहीं !
एक बात है अगर टोपी ऐसी हो जिस पर कोई चोट असर करे (हैलमेट जैसी) तो  उसके फायदे भी बहुत हैं !
प्रदर्शन आदि में लाठी चलने पर अपना सर बचता है ! और विरोध में सर से निकालो दूसरे पर दनादन पिल जाओ !
लेकिन ऐसी टोपी (कागज की) किसी काम की नहीं; जिसे जब मन करा मोड़ा माड़ा जेब में रख लिया जब मन करा पहन लिया।
तो दोस्तो ! टोपी पहनने की आदत मत पाल लेना और पाल ली तो आँखों पर मत सरकने देना और कमसेकम सोते समय तो उतार देना जिससे दिमाग को कुछ ताजा हवा लगे तो सोचना समझना कर सके।
और हाँ दूसरों को टोपी पहनाना भी गलत होता है !
1947 (वैसे 1885 में) में विदेशियों ने देशवासियों को टोपी पहना दी थी ! वो लोगों के आँखों तक सरक गयी ! जिससे बुद्धि और आँखें दोनों बंद !  बड़ी मुश्किल से सत्तर साल बाद खुलने लगीं थी कि फिर टोपियों का मौसम ........
देखें अब कब तक लोग अपनी आँखों से टोपियां पीछे सरकाते हैं।