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Sunday, January 8, 2012

डिप्रेशन के मरीजों को पहले के गाने सुनाने चाहिए

"रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आएगा ; हंस चुगेगा दाना तिनका कौवा मोती खायेगा" हे जी रे......हे जी रे....| आज सुबह गाना सुना है यार...| न जाने कैसे दूरदर्शन वालों को आज कल ऐसी अक्ल आ गयी | कि उसने महेंद्र कपूर के गाये गाने सुनवाये, लिखे पता नहीं किसने होगे ? मेरा वश चलता तो ऐसे गानों के लिए लिखने वाले को जरुर साहित्य का सर्वोच्च सम्मान देता | दिल को अन्दर तक छू जाते हैं |
ये गाना गोपी फिल्म का है दिलीप कुमार द्वारा परदे पर गाया गया है | एक से एक गाने सुने आज | कुछ देर में उस चैनल पर ध्यान गया | 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा....., मेरे देश की धरती सोना उगले; उगले हीरे-मोती, न मुहं छुपा के जियो; और न सर झुका के जियो...| क्या ऐसे गानों की तुलना "उललाला"* या "जय हो"* से हो सकती है ? व्यक्ति को एकदम से रिचार्ज कर देते हैं पहले के गाने | एक सुझाव और है डिप्रेशन के मरीजों को पहले के गाने सुनाने चाहिए मेरा दावा है वो एक हद तक ठीक हो जायेंगे | आप अपना ख्याल भी बताइयेगा |

2 comments:

  1. U r right jisne v likha ho wo koi aam insan nhi hoga .

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  2. U r right jisne v likha ho wo koi aam insan nhi hoga .

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