ताजा प्रविष्ठियां

Wednesday, July 27, 2011

...हमें इंतजार है उस दिन का; जब पता लगेगा कि संसद में कितने सांसद विदेशी जासूस हैं...

इस सरकार पर और इसकी सीबीआई पर किसी को भरोसा भी है ? जो ये कुछ जो कुछ कहें उसे मान लें ? इनके कारण देश के लोगों का विश्वास अब लोकतंत्र पर से भी उठने लगा है | अपने को बचाने के लिए ये किसी को भी बदनाम करने की शक्ति रखते हैं | पर इस बार इनके ये सब दांव उलटे पड़ रहे हैं क्योंकि अब जनता के मन में बार-बार एक सवाल उठ रहा है कि ये कार्रवाहियाँ अब क्यों हो रहीं हैं जब इनके पूरे खानदान पर कालिखें पुत चुकी हैं |
मीडिया का इस्तेमाल बिना पैसे के नहीं हो सकता और पैसा इनके पास अथाह है जिससे मीडिया अफवाह उड़ाने में और बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा | वर्ना कोई तो होता जिसने ये बहस सकारात्मक दिशा में करवाई होती कि क्या विश्वास है इस सरकार का कि ये जाचें सही हैं इनमे साजिश नहीं है | कैसे विश्वास करे कोई ? कि दोषी सरकार अपने को बचाने के लिए दूसरों को या उन्हें जिन्होंने उनके सवा सौ सालों के तथाकथित महानता के इतिहास को देश के सवा सौ करोड़ लोगों के सामने खोल कर रख दिया है | कई लोग अपने उन पापों का प्रायश्चित कर रहे हैं कि हमने उन्हें कभी वोट दिया था या उनसे जुड़े थे |
ये हमारे यहाँ का आदर्श लोकतंत्र है | अपनी सुविधानुसार बोलने की आजादी का इस्तेमाल करो | देशद्रोही को देशभक्त और और देशभक्त को देशद्रोही साबित कर दो | जनता का भरोसा उठ चुका है व्यवस्थाओं पर से या जानबूझ कर इन भ्रष्ट लोगों द्वारा ख़त्म किया गया है पता नहीं, पर ; यही बात आज इनके विरुद्ध हो गयी है | अब देश की आम जनता को देश की किसी संस्था पर विश्वास नहीं रहा | थोडा बहुत अभी उच्चतम न्यायलय पर भरोसा है पर उसे सरकार नहीं मानती | कोई है देश में जिसकी गरिमा अभी भी बरक़रार हो ?
हमें इंतजार है उस दिन का; जब पता लगेगा कि किन-किन लोगों का धन विदेश में जमा है, हमें इंतजार है उस दिन का, जब देश का इतिहास बताये कि इस देश में कितनी साजिशें देशभक्तों के विरुद्ध हुयीं हैं , हमें इंतजार है उस दिन का; जब पता लगेगा कि संसद में कितने सांसद विदेशी जासूस हैं,और विदेशी कम्पनियों और सरकारों के लिए काम कर रहे हैं, हमें इंतजार है उस दिन का; जब व्यवस्था ऐसी होगी कि मंत्रियों का स्वास्थ्य और चरित्र परिक्षण करके उन्हें मंत्री बनाया जाये | साधारण सिपाही को जब स्वास्थ्य परिक्षण के बाद भर्ती किया जाता है तो मंत्रियों को क्यों मानसिक रोग होते हुए मंत्री बना दिया जाता है ?

3 comments:

  1. आदरणीय शंकर फुलारा जी, संसद में बैठे हुए इन भ्रष्टों की सूत्रधार ही जब विदेशी एजेंट हो तो किसी और से क्या मतलब? ye सब जनता के सामने नंगे हो चुके हाँ, किन्तु जनता है कि आँख मूंदे कड़ी है|

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. आदरणीय शंकर फुलारा जी आपने सही कहा कि सी बी आई बहई तो इन्ही कान्ग्रेसिओं कि है और मीडिया भी इन्ही का परन्तु हमारी जनता आँखे मूंदे खड़ी है उसको ये मालूम ही नहीं है कि ये मीडिया हमारे ही पैसे से हमें नंगा कर रहा है और हमे फूहडता अनर्गल अनाप शनाप बातें बना कर हमें गुमराह कर रहा है , जनता अपने आपको को बुद्धिजीवी समझती है परन्तु ब्लॉग जगत में दिवस भाई ने एक नए शब्द का निर्माण किया है जो इस जनता पर उचित और सटीक बैठता है वो इस जनता के उस बर्ग को बुधुजीबी कहते हैं जो बिना अपना दिमाग लगाए अपने आपको बड़ा बुद्धिमान समझते हैं !
    अत जनता को इन केन्द्र कान्ग्रेसिओं को जुते मार के भगाना पडेगा तभी ये देश कहीं आगे बढ़ने का सपना जनता को दिखा पायेगा !

    ReplyDelete

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें