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Saturday, June 18, 2011

देश की असली गद्दार, "कांग्रेस"और उसके समर्थक, मीडिया,

इस देश के लिए सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस है। ये दीमक की तरह है जिसने देश को अन्दर ही अन्दर खोखला बना दिया है। जैसे उदरकृमि प्राणी को स्वस्थ नहीं रहने देती, जो भी वह खाता पीता है उसे चूस लेती है वैसे ही ये कांग्रेस हमारे देश के लिए हो गयी है।
ये स्थिति आज कल की नहीं अपितु सौ साल से भी अधिक की है। अंग्रेजों ने देश को दो-ढाई सौ साल गुलाम रखा उसमे से अगर, विश्लेषित करें तो १८८५ के बाद कांग्रेस की सहायता से ही वह इस देश पर अपना राज कायम रख सके।

अब; तथाकथित आजादी के बाद, इसने जो लूट मचाई है और आम जनता को मूर्ख बनाने की जो महारत हासिल की है वह अचंभित करने वाली है।
लेकिन अब देश के अधिकांश देशभक्तों को लगने लग गया है कि ये केवल देश के लिए ही नहीं अपितु आध्यात्म ( सभी मुख्य धर्मो का सार) संस्कृति, संस्कार,सभ्यता, सभी के लिए खतरा है।

और इसको पिछले बासठ सालों से वोट देकर देश की जनता अपने कुकर्म का फल भोग रही है। बल्कि ये कहना चाहिए कि उनके कुकर्म का फल देश के वो लोग भी भुगत रहे हैं जिन्होंने उसे वोट नहीं दिया।
कई प्रदेशों में विद्रोह की समस्या, नक्सलवाद,माओवाद, चीन से खतरा, पाकिस्तान से हमेशा की रार, बंगलादेश की टेढ़ी आँखें, यहाँ तक कि नेपाल,श्री लंका,मयन्मार, जैसे देश; जिनकी जनता के साथ हमारे रोटी बेटी के, और संस्कृतिक सम्बन्ध हैं वो भी हम पर अब अपना गुस्सा जाहिर करने लगे हैं । जो हमारी ताकत बन सकते थे।

तारीफ की बात तो यह है कि जो उसे वोट देने वाले या समर्थक हैं वही अधिक परेशान भी हैं बेचारे पिछले पचास वर्षों से अपनी गरीबी दूर होने का इंतजार कर रहे हैं। और भी किसी न किसी कारण से परेशान हैं। एक तरह से अपने पापों का फल भोग रहे हैं।

पता नहीं क्यों अपने को बुद्धिजीवी मानने वाले वो तथाकथित लोग क्यों देश से गद्दारी कर रहे हैं जो इसे सही ठहराते हैं। क्या केवल कुछ रुपयों के लिए ? मेरे ख्याल से तो नहीं, क्योंकि रूपये देने में और राजनीतिक पार्टियां भी कम नहीं हैं, मुझे लगता है कहीं न कहीं चंद टुकड़ों के आलावा और भी नैतिक अनैतिक प्रलोभन इन्हें मिलते हैं ।
यही बेशर्म हाल मीडिया का है लगभग सभी चैनल अपने को जनता का, देश का,पर्यावरण का, रहनुमा बताते नहीं थकता पर एक भी चैनल ने आज तक कभी कोशिश नहीं करी कि वह संतालिस में हुए धोखे को मुद्दा बना कर बहस कराये। किसी भी चैनल ने कोशिश नहीं करी कि वह महात्मा गाँधी के उस आह्वान पर चर्चा करवाए जो उन्होंने दो फरवरी १९४८ से दूसरा आजादी का आन्दोलन चलाने के लिए कहा था। इन्होने इस बात पर कभी चर्चा नहीं करवाई कि आखिर गाँधी जी की मृत्यु से किसे सबसे अधिक लाभ पंहुचा । क्योंकि उन्होंने नेहरूराज से असहमत हो कर दूसरे आन्दोलन की घोषणा की थी।

वर्तमान में भी ये दो तीन दिन तक (चार से छह जून तक)तो अपनी नाक बचाने में कामयाब रहे पर फिर से इन्हें असली मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाने प्रलोभन मिल गया लगता है । कोई इस बात को मुद्दा बनाता कि आखिर बाबा रामदेव की संपत्ति को तो हर वर्ष सरकार की जांच कम्पनियां जांचती हैं फिर भी इस कांग्रेस के नेता क्यों जनता को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं | क्यों इस सरकार को अब स्वामीजी की संपत्ति पर आपत्ति है। आचार्य बालकृष्ण का पासपोर्ट इन्हें आज से पहले क्यों नहीं दिखा ? इस बेशर्म सरकार को ये बात भी नहीं सूझती कि ये सब करके वह अपनी ही नाकामी दिखा रही है ।

क्या ये मूल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश नहीं है। किसी तरह अपने को बचाओ इसलिए दूसरे को भी गद्दार बनाओ। यहाँ भ्रष्टाचार के ऊपर माहौल गर्म चल रहा है और सोनिया-राहुल अपने निजी दौरे पर विदेश चले गए पर हमारा मीडिया खामोश कर दिया गया। क्या है विदेश में इनका घर होगा रिश्तेदारी भी होगी पर उससे भी बड़ी बात विदेश में छिपाया कालाधन भी है | और काले खाते भी हैं जिन्हें इधर उधर भी किया जा सकता है । अगर कोई और इस तरह विदेश गया होता तो क्या ये मीडिया इस तरह की ख़ामोशी ओढ़ लेता ।

3 comments:

  1. कुछ कुएँ के मेढको को कांग्रेस के बदबुदार कीचड़ भरे कुएँ मे बड़ा मजा आ रहा है.
    वो कुएँ के बाहर की दुनिया देखना ही नही चाहते.
    और जो उनको दिखाना चाहता है उसको भी वो उसी कांग्रेसी सड़ांध वाले कुए मे घसीट लेते है.
    ऐसे लोग धरती के बोझ है.
    भारत पे कलंक है.
    ऐसे कुए के मेढक ब्लाग जगत मे भी खूब भरे है.

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  2. आदरणीय शंकर फुलारा जी आपके आलेख के एक एक शाब्द से सहमती...गज़ब का आलेख...अब कांग्रेस को नंगा करने का समय आ गया है...आपके प्रयास सफल सिद्ध होंगे...मैं भी इसी प्रयास में लगा hoon...

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  3. shankar ji kafi satik lika hai

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