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Tuesday, April 5, 2011

मेहनत का पैसा कोई भी ऐसे नहीं लुटा सकता

वर्ल्ड कप ट्रॉफी नकली है सब इसी को लेकर चिंतित हैं जैसे कल का खाना नहीं मिलेगा | वो तो कुल साठ लाख की है |
अरे ! उन नोटों और इनामों-इकरामों को देखो (कहीं वो भी नकली न हों), ये नेता-सरकारें ऐसे लुटा रहे हैं जैसे इनके पिताजी कमा कर रख गए हों | मेहनत का पैसा कोई भी ऐसे नहीं लुटा सकता | वो भी तब जब देश के 93 करोड़ लोग 20 रूपये रोज में अपना दिन 24 घंटे गुजारते हों |

2 comments:

  1. waastav mai puruskaaron ke rup main lutaya ja raha dhan kisi ek mantri ya sarkaar ka nahi apitu yh janta ka paisa hi lutaya jaa raha jai ..
    is vishay pr kafi kuchh likha jana abhi banki hai ...
    sahmat hun aapse ....
    abhaar.

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  2. काफी दिलचस्प ब्लॉग है आपका. वैसे कल ब्लॉग संसद में यह पोस्ट देखा था. जहां तक याद है कॉमेंट भी किया था. अच्छा लगा था. क्रिकेट पर मेरे भी विचार आपसे मेल खाते हैं. मैंने भी लिखा था कि इया उन्माद की क्षय हो. अभी रांची में अतिक्रमण हटाओ अभियान चल रहा है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं. पहले से बेघर लोगों की गिनती ही नहीं है. धौनी इसी शहर के रहनेवाले हैं. सरकार उनपर दौलत लुटा रही है. लेकिन उनके अन्दर यह भावना नहीं कि उजाड़े गए लोगों कि कुछ मदद कर दें कम से कम हाल तो पूछ लें. ये लोग विज्ञापन में करोड़ों की कमी कर रहे हैं. खेल भी पैसा लेकर ही खेलते हैं. यह सरकार समुन्दर में पानी दल सकती है लेकिन प्यासे को पानी नहीं पिला सकती. बहरहाल..संपर्क बना रहेगा. बातें होती रहेंगी.
    ----देवेंद्र गौतम

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