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Friday, December 3, 2010

"देशभक्त" मीडिया

भाई राजीव दीक्षित के अंतिम दर्शन करने और अंत्येष्टि क्रिया में शामिल होने उसी दिन (३० नव. को) हम चलेगए। कल ही वापस पहुंचे हैं। दुःख की क्या बात करें उसका कोई पारावार नहीं।

मुझे
तो स्वामीजी के वो वच
नयाद आ रहे हैं कि 'सफल तो हम होंगे ही पर इस बात दुःख होगा कि उस सफलता को देखने के लिए भाई राजीव जीनहीं रहे'।

पर उनके जो विचार हैं और उनका जो चरित्र है वह
प्रेरणा देने के लिए उनका संरक्षित कार्य सी डी के रूपमें जो हमें उपलब्ध होगा वह ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को देखना चाहिए जिससे हमारा ज्ञान और समझाने कातरीका विकसित होगा।

अब
इस राष्ट्रीय मीडिया का हाल देखिये जो व्यक्ति पिछले तीस वर्षों से समाज सेवा में लगा है इस समय भी स्वदेशी के प्रचार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध स्वामी रामदेव जी के साथ पूरे समर्पण भाव से लगा था और भारत स्वाभिमान आन्दोलन का सेनापति था उसके निधन का समाचार तक इस तथाकथित "देशभक्त" मीडिया ने नहीं दिखाया , इससे इस देशभक्त मीडिया का भ्रष्ट चरित्र ही उजागर होता है

देशवासी
और भारत स्वाभिमान के सदस्य मीडिया के इस दोगलेपन को अपने दिलों में तोल रहे हैं कि कैसे इनके इस चरित्र का तोड़ तैयार करें ?

बिहार
में राजकुमारों-रानियों और जातिवादी-भ्रष्टाचार की राजनीति करने वाले बड़े-बड़ों की हार से झुंझलाया-झल्लाया मीडिया तो ख़ुशी मना रहा होगा कि एक ऐसा योद्धा इस दुनिया से चला गया जिसके अभियान से उनकी अय्याशी के साधनों (विदेशी कम्पनियों के विज्ञापनों) में कमी आने का भय था

5 comments:

  1. राजीव जी का जाना एक आघात है, यह देश के लिये एक क्षति है…
    राजीव जी के व्याख्यानों को टुकड़ों-टुकड़ों में नेट और सीडी के जरिये आम जन तक पहुँचाने का प्रयास हम सभी को मिलकर करना होगा…
    =========

    मीडिया ने तो अपना "रण्डी चरित्र" कई बार दिखाया है, एक बार और सही…

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  2. आपका कथन अक्षर अक्षर सही है............

    आज का मीडिया...........देश भक्त ?

    आज का सबसे बड़ा मज़ाक !

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  3. राजीव जी का जाना एक आघात है, यह देश के लिये एक क्षति है…
    आपका कथन अक्षर अक्षर सही है............
    varansi main Rajiv ji dwara diya gaya vyakhyan ki recording kal saam ko aastha channel pr sunkr laga ki BHAI raajiv kahin nahi gaye hain,yahin hain hamarey beech main ,

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  4. आदरणीय शंकर फुलारा जी
    सादर प्रणाम
    राजीव दीक्षित , ने मेरे अंतर्मन को गहरा प्रभावित किया था ...उनकी मृत्यु का समाचार पाकर में बहुत हतप्रभ हो गया ..लेकिन जिस व्यक्ति ने अपना सब कुछ देश के लिया समर्पित कर दिया मीडिया ने उसकी सुध लेनी भी उचित नहीं समझी ...मुझे इस बात का मलाल है ....परन्तु क्या किया जा सकता है ...राजीव जी के प्रति सच्ची श्रधांजलि यही होगी कि हम जितना संभव हो सके उनके विचारों को जन - जन तक पहुंचाएं ...प्रयास करूँगा में भी और आप मुझे उत्साहित करें ...आपने पोस्ट के माध्यम से अपनी बात कही है आपका शुक्रगुजार हूँ ...धन्यवाद

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