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Sunday, October 17, 2010

सब देख रहे हैं धर्मनिरपेक्ष मीडिया और नेताओं का दोगलापन

एक सेकुलर का प्रलाप
(अरे ! बुखारी जी तुमने ये क्या किया ? पत्रकार की छाती पर नहीं.. तुमने तो हमारे मुहं पर लात मार दीअब मुहं कैसे खोलें ? खुल ही नहीं रहा, शायद लात जोर से लगी है आँखें खोलने में भी दर्द(शर्म) का अनुभव हो रहा हैतुमने तो हमें बुखार सा ला दिया हैमित्र लोग हंसी उड़ाने में लगे हैं; सब कह रहे हैं कि सेकुलरों को बुखारी का बुखार हो गया हैउन्होंने इसे नए किस्म का बुखार घोषित कर दिया हैआखिर तुम्हें हो क्या गया था मिया ? तुम तो अपने अब्बा से भी आगे जा रहे हो वे तो केवल उल्टे-सीधे मुहं चलाते थे; तुमने तो सीधे लात चला दीसठिया तो नहीं गए ?आखिर क्यों बिदक गए….. ? वो तो अल्लाह का करम समझो कि मीडिया में भी अपने ही बन्दे बैठे हैं, वरना ! कितनी भद्द पिटती……) ।
मीडिया का दोगलापन
एक पत्रकार पिटा ! पूरे समाज के सामने; एक खतरनाक किस्म के व्यक्ति और उसके कुछ गुंडा प्रकार के समर्थकों द्वारापर मीडिया में कोई हलचल नहीं, नेताओं ने कोई हल्ला नहीं मचाया
है आश्चर्य की बात ! शुक्र है ये वाकया एक मुस्लिम इमाम द्वारा किसी पत्रकार पर हुआ सोचो ! मतलब; कल्पना करो ! ऐसा ही कुछ किसी हिन्दू ने किया होता तो; क्या होता ? वह चाहे कितना ही बड़ा या छोटा होता, तो भारत काये धर्मनिरपेक्ष समुह क्या इसी तरह केवल रस्म निभाते से समाचार या बयान देता ? अख़बारों के कितने पन्ने काले कर देते ?
नहीं ! इन मीडिया वालों का लगभग एक सप्ताह तक कमाई का जुगाड़ हो जाताऔर सेकुलर गिरोह को तो मानो ब्रम्हास्त्र मिल जाता हिन्दुओं को कोसने के लिए। "ये" हिन्दू सभ्यता-संस्कृति-संस्कारों पर धर्मग्रंथों पर बहस कर-कर के अपना बुखार उतार रहे होते
अब हालात ये हैं कि; अपने (तथाकथित सेकुलर) चरित्र के विरुद्ध मामले को गरमा भी नहीं सकते, इसलिए एकाध बार समाचार दिखा दियाबाकि ! सेकुलर नेताओं ने तो मुंह छिपाना ही ठीक समझाबहुत से "मीडिया मालिक" अपने कार्यालयों में बैठे ठंडी आहें भर रहे होंगे कि; काश ! ऐसा ही कुछ किसी हिन्दू ने किया होता तो कितनी कमाई होती ?

2 comments:

  1. भाई ऐसे बहुत से समाचार देख सुन चुके हैं जो एक बार आ कर नदारद हो जाते हैं.....आखिर सरकार को वोट भी तो चाहिए होते हैं यदि वे इन्हे ज्यादा छेड़ेगे तो वोट तो गये ना हाथ से.....रही बात मीडिया की तो उस की क्या औकात है जो खिलाफी कर सके...उन की रोटी रोजी का सवाल है:)

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  2. वो हिन्दू होता तो
    हिन्दुस्थान में आफत आ जाती

    तमाम हो मुह खोल के चिल्लाने लगते कि एक अल्प्सक्यक के साथ अन्याय हुआ है

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