ताजा प्रविष्ठियां

Sunday, October 10, 2010

“आप कैसे युवा हैं” ?

(जिन्हें भारत एक गड़रियों का देश था पढ़ाया गया है जिन्हें ये पढाया गया है कि हिन्दू धर्म ग्रंथों में केवलकहानिया हैं और कुछ नहीं, कैसे युवा हैं आप ? )
हमारा देश वर्तमान में युवाओं का देश माना जा रहा हैअब ये अलग बात है कि कोई पच्चीस साल का होते हुए भी युवा होने की ताल नहीं ठोक सकता, और कोई पचास साल का होने के बाद भी युवाओं से स्वयं को कम नहीं मानता शारीर विज्ञान के अनुसार तो अस्सी साल के बुजुर्ग के सम्मुख सत्तर साल के बुजुर्ग को युवा कहेंगेहमारे भारत में तो "साठा सो पाठा" की कहावत इसीलिए चर्चित है कि यहाँ सभी अपने को युवा कहलाना चाहते हैं
पर मेरा सवाल अवस्था के परिप्रेक्ष में नहीं है, मेरा सवाल विचारों के परिप्रेक्ष में है । “ आप कैसे युवा हैं” ? क्योंकि हमारा देश विविधताओं वाला हैयहाँ की विविधता केवल बोली-भाषा,प्रदेश,धर्म-संस्कृतियों के आधार पर ही नहीं है अपितु वैचारिक आधार पर भी होती हैजैसे ---------

एक प्रकार के युवा, अंग्रेजी पढ़े हुए ही नहीं अपितु अंग्रेजी सोच भी रखने वाले जिन्हें स्वदेशी भाषा, धर्म,संस्कृति-संस्कार, ग्रन्थ-इतिहास आदि सब बकवास लगता है क्योंकि उन्हें उस प्रकार का आदर्श बनना है जैसा अंग्रेज नीतिकार मैकाले चाहता थावो अपने को विकास वादी या प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष कहलाना पसंद करते हैं (यदि राजनीति में हों)महंगे बान्डेड कपडे, घडी,चैन,जूते,चश्मा, लम्बी गाड़ी, विदेशी शैक्षिक डिग्रियां,लड़की-लड़के में भेद समझना ही इनकी पहचान हैइनमे से अधिकतर को तो इससे कोई मतलब नहीं कि देश में क्या हो रहा है क्या नहींइनके मां-बाप इनका खर्च चलाते हैं क्योंकि वे किसी भी तरह से अनाप-शनाप कमाते हैंऐसे युवा थोड़े से भी शालीन हो जाते हैं तो राजनीति में सभी दलों में दिख जायेंगे

इन्हीं की नक़ल करके समाज के हर तबके में अपने आर्थिक स्तर के अनुरूप , मुहं में गुटका शाम को शराब, तौर-तरीके (स्टाईल) फ़िल्मी, राजनैतिक नेताओं के पीछे लग कर अपने लिए कुछ कमाई के साधन तलाशना इनकी मज़बूरीया सरकारी नौकरी लग गयी तो सब बातों से निश्चिन्त हो कर जिंदगी जीना खूब आराम तलब हो कर कुछ सालों में बिमारियों का घर बनकर परेशान रहना

इन दोनों से अलग एक युवा वो हैं जिन्हें अपनी दाल-रोटी की चिंता भी है समाज-संस्कृति की चिंता भी है, देश की चिंता, राजनीति की चिंता, शिक्षा की चिंता, मतलब सभी का ठेका उसके पास ही हैमंदिर-मस्जिद पर लम्बी बहस हो या आतंकवादियों के मामले पर नुक्ताचीनी, फिल्मों पर चर्चा हो या खेलों पर, सब पर उसकी नजर रहती हैदेश के पक्ष में कोई आन्दोलन चले तो सबसे पहले वह ही आंदोलित होता है

अब मुझे इनकी संख्याओं का पता तो नहीं है कि अधिक कौन हैं; पर ये प्रश्न जरुर मन में उठता है कि आप कैसे युवा हैं ? अपने देश,धर्म,संस्कृति,सभ्यता-समाज, संस्कार, इतिहास,ग्रंथों,को जानने वाले और इन पर गर्व करने वाले, या पश्चात्य संस्कृति में सराबोर मैकाले के आदर्श युवा ? जिन्हें भारत एक गड़रियों का देश था पढ़ाया गया है जिन्हें ये पढाया गया है कि हिन्दू धर्म ग्रंथों में केवल कहानिया हैं और कुछ नहीं, कैसे युवा हैं आप ?

4 comments:

  1. जनाब मैं एक प्रगतिशील और तरक्की पसंद युवा हूँ लेकिन साथ की साथ देश और दुनिया में क्या हो रहा है इसकी जानकारी भी बराबर रखता हूँ

    ReplyDelete
  2. युवाओं के सन्दर्भ में सही मुद्दा उठाया है आपने | जिन आदर्श युवाओं का आपने जिक्र किया है, वे दिनों दिन कम होते जा रहे हैं |

    ReplyDelete

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें