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Friday, July 30, 2010

न जाने क्यों ?

(फिर भी मेरा देश तरक्की कर रहा है ; जाने क्यों ? नेताओंनौकरों को लाखों मिलते हैं और गरीब भूखों मरता है ; जाने क्यों ?)
कुछ लोगों में भारत-भारतीयता, के प्रति हीन ग्रंथि है ; जाने क्यों ?
कुछ लोग सकारात्मक या सीधा, सोच ही नहीं पाते ; जाने क्यों ?
कुछ को हमारे इतिहास और सभ्यता-संस्कृति में केवल बुरा ही बुरा दीखता है ; जाने क्यों ?
कुछ लोगों को निर्दोषों के हत्यारों के प्रति भी सहानुभूति होती है ; जाने क्यों ?
कुछ लोगों को अपराधियों से मुठभेड़ों पर शक होता ; जाने क्यों ?
सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल करने की जरुरत पड़ती है, जैसे गुलाम हों ; जाने क्यों ?
धन्य हैं वो लोग जो चुप बैठे हैं पिछले साठ वर्षों से ; जाने क्यों ?
धर्म के नाम पर अन्धविश्वास बढ़ता रहा ; जाने क्यों ?
गुरु घंटालों को भगवान बना कर पूजने लगे ; जाने क्यों ?
स्वतंत्रता के नाम पर धोखा हुआ कोई जगा ; जाने क्यों ?
लोकतंत्र के नाम पर लुटते रही जनता ; जाने क्यों ?
देश भक्ति के चोले में गद्दारी होती रही ; जाने क्यों ?
शिक्षित होने के भ्रम में मूर्ख बनते रहे ; जाने क्यों ?
महलों में सरकार सोती है गोदामों में अनाज सड़ता है ; जाने क्यों ?
सांसदों नेताओं को कैंटीन में दस रुपये में भोजन मिलता है ; जाने क्यों ?
नेताओंनौकरों को लाखों मिलते हैं और गरीब भूखों मरता है ; जाने क्यों ?
फिर भी मेरा देश तरक्की कर रहा है ; जाने क्यों ?
.............................................................................. जाने क्यों ?
............................................................................... जाने क्यों ?

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