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Friday, June 25, 2010

उफ़ ! ये गर्मी और ये जींस की पेंट “वो भी चिपकी हुयी”

उफ़ ये गर्मी और ये जींस की पेंटक्या करें पहननी भी जरुरी है वरना ; बॉय या गर्ल फ्रेंड को और अन्य जानने वालों को "पर्सनेलिटी" कैसे दिखेगी
अब जींस की पेंट पहननी हो; फिर ढीली-ढाली हो तो पहनने का क्या फायदा ? भई ; वह तो चिपकी हुयी ही अच्छी लगती हैजिसमें से शारीर की हैल्थ (मांसलता) दिखे ऐसी जींस; पुरुषों को तो तब भी ठीक लगती है, महिलाओं को नहीं भातीइसलिए चिपकी      हुयी जींस पहनना मज़बूरी है, शारीर सौष्ठव दिखाना जरुरी है”।

अब रहा गर्मी का सवाल, तो भई जींस पहनने से जब कोई (फ्रैंड और नौन फ्रैंड ) ठंडी साँस छोड़ता हुआ सा महसूस होता है तो उस समय गर्मी में भी ठंडक का अहसास होता हैउस ठंडक को पाने के लिए तो आज की लड़कियां आग में कूद जाती हैं गर्मी में जींस क्या , वह; "फैशन चले तो रजाई ओढ़ कर निकल जाएँ"। फिर नीचे जींस पहनने से जो गर्मी लगती है उसके बदले ऊपर के कपड़े छोटे और खुले पहन लिए तो हिसाब बराबरनीचे की गर्मी ऊपर से निकल जाती है

इस बात को आप केवल महिलाओं के लिए ही समझेंपुरुषों के लिए भी यही बात हैहाँ महिलाओं या युवतियों की हिम्मत जरा ज्यादा है, क्योंकि उनकी जींस जरा ज्यादा तंग और चिपकी होती हैकमर में बेशक ढीली हो कईयों की तो , ऐसा लगता है जैसे ;अब खिसकी कि तब खिसकी

धन्य हो इस जींस कोसुना है; कभी यह मजदूरों के लिए अविष्कृत हुयी थी । पर इतनी लोकप्रिय हुयी कि आज इसने देश-काल-परिस्थिति लाँघ कर लोगों के मन में ये भ्रम बना दिया है कि सभ्य वही है जो जींस पहनेचाहे कैसा ही मौसम हो; गर्मी से टांगों में फुंसियाँ पड़ जाएँ पर जींस पहनना जरुरी है, वरना पढ़ा-लिखा नहीं दीखता या सभ्य जैसा नहीं लगता

अब तारीफ की बात ये है कि इसे हर प्रकार के लोग-लोगनियाँ पसंद करते हैंचाहे गुंडा-बदमाश हो या जेब कतरा हो, प्रोफेषर हो या चपरसी हो, दूध वाला हो या शराब वाला हो, डॉकटर हो या मरीज हो मतलब; समाज के सभी तबके के लोगों का प्रिय पहनावा है जींसयही स्थिति महिला वर्ग की हैबल्कि युवतियों में तो अधिक चाव है

कुछ लोग इसे केवल सर्दियों में इस्तेमाल करते हैं; हमारे जैसेपर गर्मियों में इस्तेमाल करने वाले अधिक विवेकशील लोग हैं उनकी हिम्मत को दाद देनी चाहिए जो इतनी गर्मी में भी जींस पहनकर मानो गर्मी को ठेंगा दिखा रहे होंजैसे कह रहे हों कि तू कितना ही पसीना निकाल ले हम तो फैशन के दीवाने हैं हम गर्मी और पहनावा क्या जानें, जींस भले ही ठन्डे देशों का पहनावा हो हम तो गर्मी में ठंडक का अहसास पा लें

3 comments:

  1. हमारी वाणी मैं आप को देखा तो इधर आया
    सर अच्छी टिपण्णी की है आप ने जींस के बारे मैं
    जींस के बारे मैं में भी कुछ ऐसा ही सोचता हु !

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  2. साजिद भाई , हमारी वाणी क्या कोई नया एग्रीगेटर चालू हो गया है| कृपया इस बारे में जानकारी देना या लिंक देना या पता टाईप कर देना | और कमेन्ट के लिए धन्यवाद |

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  3. सब कुछ तो बड़ा पसंद आया बस एक बात कुछ जंची नहीं। फैशन का जो युग आज चल पड़ा है युवतियों के लिए, उसमे मुझे नहीं लगता वो कभी भी रजाई ओढने की हिम्मत कर पाएंगी। अजी, अभी तो सब कुछ उतारने का युग आ गया है ओढना तो अब पुराणी बात बन गयी है!!

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