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Sunday, May 2, 2010

लालू बोले वेतन बढाओ (सांसदों का)

एक खबर पढ़ी, ‘सांसदों का वेतन अस्सी हजार पेंशन एक लाख हो
ये मांग करने वाले सांसद हैं; अपने मसखरेपन के लिए पहचाने जाने वालेलालू प्रसाद यादव”।
वास्तव में इनका खर्चा पूरा नहीं पड़ता होगा; क्योंकि एक क्रिकेट टीम तो इनकी अपने बच्चों की है और आज के ज़माने में बच्चे ! वो भी किसी नेता के ! कम खर्च में कैसे काम चले, वेतन तो बढ़ना ही चाहिए
बीस साल से नेता गिरी (दोनों मिया-बीबी) करते; "आदतें" अधिक खर्च करने की पड़ गयीं हैं; या ये कहना चाहिए कि हराम की खाने की आदत पड़ गयी है, उसका प्रभाव इनके बच्चों तक गया है; वह भी कोई काम-धाम नहीं करते हैं इसलिए खर्चा पूरा नहीं पड़ रहा हैतो वेतन-भत्ते पेंशन बढ़ाने के लिए आवाज उठाने लगे हैं
न्हें पता है; देश में कोई कुछ कहने वाला पूछने वाला तो है नहींजनता अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में इतनी व्यस्त है कि इनके इन कारनामों पर केवल दांत पीस कर, मन-मसोस कर या ज्यादा से ज्यादा गाली दे कर रह जाती हैजिनके पास रोजी-रोटी है वह दारू पीने की लत लगा चुके हैं; उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता
उनके पास खाने के लिए प्रयाप्त है
अब रहे सांसद उनकी तो पौ बारह इस तरह वह तो जनता के सामने शर्म अनुभव करेंगे, और इस बात का विरोध तो करेंगे ही क्यों एकाध-दो साल में लालू की ये मांग पूरी हो जाएगीदेश जनता जाये भाड़ में
उस पर तुर्रा ये कि; ये (लालू) और इनके जैसे(माया-मुलायम) लोग बाबा रामदेव जैसे लोगों को अपने मसखरेपन का विषय बनायें; जो देश-समाज और राजनीतिक व्यवस्था को सुधारने का प्रयास करने में लगे हैं और उन पर अब देश की जनता को पूरा भरोसा होने लगा है ।

1 comment:

  1. जनता की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई को रिश्वत ते रूप में खाने के बाद भी क्या हमारे सांसद भूखे रह जाते हैं जो उन्हें तनख्वाह भी चाहिये! लालूजी तो खुद जानवरों का चारा खाते बैठे हैं. अब उन्हें इंसानों का भी पैसा चाहिये. देश की जनता को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती और हमारे बेशर्म नेता खुद के लिए जनता की कमाई में से हिस्सा मांग रहे हैं. लालूजी कुछ तो शर्म करो. हर वक्त मज़ाक का वक्त नहीं होता.

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