ताजा प्रविष्ठियां

Saturday, May 29, 2010

नक्सल समस्या का समाधान

नक्सल समस्या का समाधानइस तरह नहीं होगा जैसे हमारे नेता या सरकार चाह रही हैहै है लिए हमारे राजनैतिक और सामाजिक नेताओं को आगे आना होगाआगे आने का मतलब ! ‘ऐसे नहीं जैसे अभी तक आते रहे हैंटी.वी.स्टूडियो में बैठ कर, उनके समर्थक बनकर, या पत्र-पत्रिकाओं में उनके समर्थन में लेख लिख कर आते रहे हैं’।

आगे आने का मतलबप्रत्यक्ष रूप से आगे आना होगा, सेना को मोर्चे पर भेजने के साथ-साथ स्वयं भी उसके आगे लगना होगा अरे भई जब समर्थन करना है तो मैदान में उतर कर करो ! सरकार को नियम बना कर उन सभी की सूचि बनानी चाहिए, “जिनका नैतिक समर्थन इन दुष्टों को है फिर सेना के आगे-आगे इन्हें समूह में भेजना चाहिए "जिनके लिए ये दलाली करते हैं" उन्हें भी तो पता लगना चाहिए कि उनके समर्थक कौन-कौन हैं

'
दूसरे के सम्बंधियो के मरने पर वैसा दुःख नहीं होता जैसा अपने सम्बन्धी के मरने पर होता हैऔर किसी सम्बन्धी के मरने का जो डर होता है; उससे कहीं ज्यादा अपने मरने का डर होता है' ।

तो
साहब हमारा सरकार से निवेदन है; कि यह नियम बनाया जाये कि नेताओं को सुरक्षा बलों के आगे-आगे चलना चाहिए मोर्चे पर, फिर वहां पर वह अपना 'समर्थन और विरोध' जो जिसके पक्ष में करना चाहे करें इससे दो लाभ होंगेदेशवासियों का अपने नेताओं पर विश्वास बढेगा। ‘ जो दुष्ट (नक्सलवादी) हैं वह भी अपने नेताओं-समर्थकों पर विश्वास करेंगे, और जो सज्जन हैं वह भी

दूसरा
;(लाभ) "देश में जो बौद्धिक नक्सलवाद चल रहा है", ‘ताल ठोकने के बदले गिड़गिड़ाने लगेगाउन्हें अपने बिसराए हुए मां-बाप, भाई-बहन , नानी-दादी के वंसज याद जायेंगेमानवता का सही अर्थ समझने के लिए उनकी बुद्धि के कपाट खुल जायेंगे इनकी बुद्धि जिस परदे से ढंकी है वह हट जायेगा। और यकीन मानो कई पीढ़ियों तक उनके संस्कार शुद्ध रहेंगे

3 comments:

  1. कोई समाधान नहीं है

    ReplyDelete
  2. मेरा मत हाई कि ये कल का हमला नक्सली नहीं बल्कि उसकी आड़ में वाम प्रायोजित था वोट हथियाने के लिए !

    ReplyDelete

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें