ताजा प्रविष्ठियां

Wednesday, May 5, 2010

और भी भूलें हैं, जिनको मान कर सुधारना चाहिए

विदेशों में भारतीय करेंसी नोट छपवाना सरकार की भूल
ये एक समाचार पढ़ा और देखा अपनी भूल मानना एक सकारात्मक पहल है ये भूल तो ऐसी है जिसको दोबारा करने पर उसके द्वारा होने वाली हानि से बचा जा सकता है बहुत सी भूलेंजो सरकार द्वारा आज भी निरंतर की जा रही हैं; उनका क्या होगा” ? जिनके कारण ये महान देश ! जिसने कभी विश्व का मार्गदर्शन किया था;हर क्षेत्र में ये विश्व का सिरमौर था, आज इतना नीचे गिर गया है कि; अपने नेताओं को चुनने का भी हमें शऊर नहीं रहा
वो भूलें हैं; हमारी "तथाकथित स्वतंत्रता" के समय कीहमारी सरकार ने वही शिक्षा लागू कर दी; जो अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए बनायी और हमारे ऊपर थोप दी, हमने वही कानून लागू कर दिए; जो अंग्रेजों ने अपने बचाव के लिए और हमारी आँखों में धूल झोंकने के लिए बनाये थे, हमने वही लोकतंत्र लागू कर दिया; ‘नक़ल करकेजिसमें; “नौ बुद्धिमानों पर दस मूर्ख" राज कर सकें क्योंकि बहुमत उनका है , हमने वही दंड संहिता बनाये रखी; जिसमे अपराधी को बचने के लिए कई स्तरों पर अवसर दिया जाता है ; जैसे अपने ही न्यायालयों को- न्यायाधीशों को गलत सिद्ध कर रहे हों
"इसी तरह की भूलें" और भी बहुत सी हैं; जिनको भुलाने के बदले सरकार को मान लेना चाहिए और भूल सुधार कार्यक्रम चलाना चाहिएविदेशी कम्पनियों को अपने देश में मनमाने तरीके से काम करने देना एक बहुत बड़ी भूल हैये कम्पनियां जितना नुकसान हमारा पिछले पचास साल में कर चुकी हैं उतना; हमारे परतंत्र रहते नहीं हुआ

1 comment:

  1. अनजाने में हुए गलती को भूल कहते हैं ,लेकिन हमारी सरकार तो सारी भूल जानबूझकर और भ्रष्ट लोगों को फायदा पहुँचाने के लिए करती है ,तो ऐसे भूल को मानने और न मानने का क्या फायदा /

    ReplyDelete

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें