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Saturday, May 1, 2010

"सरकारी गोला बारूद-सरकारी सीनों पर"


वाह रे ! हमारे सुरक्षा बलों के देशभक्त जवानो; देश को और तुम्हारे बच्चों को तुम पर कैसे गर्व होगा ? क्या कह कर वो परिचय देंगे कि हमारा सिपाही/ बाप वो गद्दार है जिसने अपने ही भाईयों का खून बहाने के लिए,अपने ही देश के दुश्मन; नक्सलवादियों को सरकारी गोला बारूद बेच दिया, कुछ धन के लालच में ।
तुम्हारे जैसों के नाम का तो एक ऐसा स्मारक बनाना चाहिए जिस पर जाकर लोग थूका करें, अब भगवान् जाने तुम्हारे इस खेल में और कौन-कौन तुम्हारा साथ दे रहा था ;पर अगर तुममें थोडा भी मनुष्यता है तो सबके नाम उजागर करके, इस केस को दो माह के अन्दर निपटवा दो । फिर अपनी सजा स्वयं तय कर लेना । जो सर पर गोली मारने से कम न हो ।
नक्सलियों की पहुँच कहाँ तक हो गयी है, पर हमारी सरकार सो रही है।
शहीदों की आत्माएं रो रहीं हैं, अपनी ही गोलियों से उनकी छातियाँ छलनी हो रहीं हैं।

वैसे बिना ऊँची पहुँच के यह गद्दारी नहीं हो सकती, ये भी पता लगाना चाहिए कि इसके पीछे कोई नेता और अधिकारी तो नहीं हैं और "ये सच" देश के सामने आना चाहिए ।
कृपया इस मामले में कोई भी समाचार चैनल किसी भी कारण से समाचार न दबाये ।

1 comment:

  1. बहुत ही ख़ूबसूरती से प्रस्तुत की गयी विवेचना / जागरूकता और सामाजिक मुद्दों पर बहस को सार्थकता की और ले जाती रचना के लिए आपका धन्यवाद /

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