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Wednesday, March 10, 2010

दलित आरक्षण के नाम पर खाना-कमाना अब मुस्किल हो गया था; इसलिए महिलाओं के नाम पर ….


दूसरा दलित आरक्षण के नाम पर खाने वाले बहुत ज्यादा हो गए थे; उसे 'दूसरों' ने भ्रष्टाचार का हथियार बना लिया , जातिवाद का लाभ 'दूसरे' लेने लगे । इसलिए अंग्रेजों के ज़माने की पार्टी को लाभ होने के बदले हानि होने लगी, जिनको आरक्षण दिया; ना वो खुश, ना बिना आरक्षण वाले खुश। अब 'इस आरक्षण' में सभी महिलाएं आ जाएँगी, और उनके परिवार आ जायेंगे । हमेशा के लिए आराम। नेताओं को अपनी भी कोई चिंता नहीं , घर में कोई ना कोई महिला तो होती ही है। घर-घर में फूट पड़ेगी तो "आधी आबादी" तो अपने साथ है । इसी राह पर अब विपक्षी भी चलने अपनी भलाई समझने लगे

कल को 'पार्टियों के युवराजों'(अन्य पार्टियों में भी तो युवराज होते हैं ) का विवाह होगा तो कम से कम उप प्रधानमंत्री या उप मुख्य मंत्री के लिए तो झगडा नहीं होगा । और अगर कुछ और रिश्तेदारनियाँ संसद पहुंची हों तो पूरी सरकार अपनी, "राज तंत्र जायेगा "। चलो.... कुछ भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा ! एक परिवार का राज होगा ।

पहले तो पत्नी , वो ना हो पुत्री, वो ना हो तो भतीजी, वो भी ना हो तो पुत्र वधु ; मतलब नेतागिरी पक्की। क्योंकि हर किसी के पास चुनाव लड़ने के लिए धन तो होगा नहीं। चुनाव वही लड़ेंगे जो पिछले पचास साल से खानदानी रूप से लड़ते रहे हैं। खैर ….. फिर भी.. कुछ तो भला होगा ऐसी उम्मीद करते हैं।

अब लडकियों की भ्रूण हत्या नहीं होगी; क्योंकि चुनाव लड़ने के लिए महिलाएं चाहिए, नेताओं की तो दसों अंगुलियाँ घी में होंगी और सर….! ये सोचने में व्यस्त रहेगा कि कैसे अपने परिवार में महिलाओं की संख्या बढाऊं। अपना बहुमत करूँ जिससे खानदानी पेशा चलता रहे।

अब तो कमाई के नए रास्ते खुल जायेंगे। पहले समय नहीं मिलता था; क्योंकि संसद में गैरहाजिरी के रूपये नहीं मिलते थे। अब संसद में पत्नी चली जाएगी और नेताजी सौदा करने के लिए मीटिंगों में व्यस्त रहेंगे दोनों तरफ से लाभ।

जैसे मूर्ख बनाते पूरा जमाना बीत गया कि हम आजाद हो गए हैं, ऐसे ही फिर ज़माने भर तक मूर्ख बनाने का हथकंडा इससे अच्छा क्या होगा अगर कोई विरोध करे तो सबका बुरा,(सामंती सोच का कहलाये ) ना करे तो आने वाली पीढियां पूछेंगी कि ऐसा क्यों किया था; जैसे आजादी के समय को लेकर हम अपने पूर्वजों से सवाल करते हैं। "कि क्यों नहीं अंग्रेजी व्यवस्था समाप्त करी" फिर अपनी राजनीति बंद होने का डर भी है

मुझे ये नहीं समझ में आता कि महिलाएं कहाँ पर "कम" नजर आती हैंकोई तो बताए; और जहाँ पर "जो" कम नजर आती हैं,क्या उन्हें इस आरक्षण का कुछ लाभ होगा ...?

मेरा पिछले वर्ष महिला सशक्तिकरण पर लिखा "ऊँची उड़ान (महिला सशक्तिकरण)
भी देखें।


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