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Friday, March 5, 2010

हॉकी के खिलाडियों को पूरा खाना, "खाने को देना चाहिए"

हॉकी मैच, भारत पाकिस्तान से बेशक जीत गया; पर लगता है गोरों से जीतना लोहे के चने चबाना जैसा ही है । या; अगर जीतना है तो कोई जुगाडू नेता टीम के साथ लगाना चाहिए, जो विरोधी टीम के खिलाडियों को धीरे खेलने के लिए कुछ ले-दे कर राजी कर ले

क्योंकि भारतीय खिलाडी तो तेज खेल नहीं सकते, जल्दी थक जाते हैं।

हमारे खिलाडियों में दम (सांस या स्टेमिना) नहीं है। चपलता (तेजी या फुर्ती) नहीं है।

और इन सब के लिए हमारे युवाओं को, वे चाहे किसी भी खेल से जुड़े हों; शराब, बीडी-सिगरेट, तम्बाखू, गुटखा, चाय-कॉफ़ी छोड़ देनी चाहिए। तथा राष्ट्रीय टीम में केवल अट्ठारह से बाईस वर्षीय युवकों को अवसर देना चाहिए। हमारे वर्तमान खिलाड़ी; ऐसे लग रहे थे जैसे कई दिन से खाना खाया होहांफ ऐसे रहे थे जैसे सालों बाद खेले हों, और दिखने में तो सभी बड़ी आयु के लग रहे थे

ऐसे तो हॉकी का भला नहीं हो सकता

1 comment:

  1. कैसे होगा जब हर खेल की जड़ में नेता या अफसर या अफसर-कम-खिलाड़ी या खिलाड़ी-कम-नेता बैठा हुआ है.

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