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Tuesday, November 3, 2009

मकबूल फ़िदा हुसेन भारत आना चाहते हैं

हुसेन साहब वतन वापसी के लिए तरस रहे हैं, सरकार और हमारे प्रगतिशील प्राणियों को भी उनकी कमी खल रही है , देश का माहौल नीरस हो रखा है, जब से आप गए हैं हमारे यहाँ के प्रगतिशीलों
गाल बजाने या कलम घिसने को कोई मुद्दा ही नहीं मिल रहा। इसीलिए गृह मंत्री से फरयाद की, उन्होंने भी तुंरत सुन ली क्योंकि वह भी आप की बनाई तशवीरों को समझ लेते हैं और आपके फैन हैं,और फ़िर आप तो वैसे भी शायद स्वयं निर्वासित हैं कौन सा आपको जिला बदर (किक आउट) किया गया था, जो आप गृह मंत्री के फौन का इन्तजार कर रहे हो। आप आ जाओ आपका स्वागत होगा हमारे प्रगतिशील भाई तो प्रत्यक्ष में और गैर प्रगतिशील (जिन्हें हिंदू कहा जाता है)अप्रत्यक्ष रूप से तुम्हारे स्वागत में आँखें बिछाए बैठे हैं। गैर प्रगतिशीलों को तो आपके आने का फायदा ये मिलेगा कि उन्हें आपकी बनाई तशवीरों का विरोध करने पर कुछ प्रचार मिलेगा और इनकी उर्जा भी किसी सार्थक कार्य पर खर्च होगी। वरना ये लोग अपनी उस असीम उर्जा को कहीं उत्तर भारतीयों पर कहीं आपस में ही खर्च कर दे रहे हैं।या राष्ट्रभाषा के विरोध में जान लड़ा दे रहे हैं। तो जनाब आप कुछ इनके बारे में भी सोचो जल्दी आओ आकर एकाध पेंटिंग चाहे आधी-अधूरी ही बना देना बनाओ बहुत बड़ा अहसान होगा। जब से आप गए हो कोई भी बड़ा विवाद तशवीरों पर नही हुआ है सब (आपके समर्थक और विरोधी ) बोर हो रहे हैं, आओ और उनकी बोरियत दूर करो। इसमे आपका भी लाभ है एक तो मंदी से फ़िर आपका प्रचार कम होगया जिससे आपकी पेंटिंग कम बिक रही होंगी, यहाँ आते ही जो विवाद होगा उससे आपको प्रचार मिलेगा फ़िर आप अपनी काबिलियत अपनी तशवीरों में उंडेलना बस आपकी मंदी भी दूर और सबका भला ही भला ।

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