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Tuesday, August 11, 2009

स्वाइन फ्लू

" सबकुछ विदेशी यूज करना है तो बिमारी भी विदेशी ही लो ,

विदेशों से, या पश्चिम से हमें ज्यादातर परेशानी (बिमारी ही ) ही मिली है ,और उस परेशानी को लाने वाले अधिकतर हमारे अपने ही होते हैं जो विदेशों में जाकर वहां के कल्चर से सराबोर होकर आते हैं फ़िर हमारे संस्कारों को कोसने की बिमारी लाकर यहाँ फैलाते हैं । ये काम तो लंबे समय से चल ही रहा था पर इससे आदमी चलता-फिरता मुर्दा जैसा ही हो रहा था ,तो उन्हें तसल्ली नहीं हो रही थी , अब पिछले कुछ सालों से नई-नई बीमारियाँ विदेशियों (कम्पनियों ने ) ने बना कर फैलानी शुरू कर दी हैं।
ये बीमारियाँ चाहे किसी स्तर पर हों, इनसे बचने का उपाय केवल इनसे बचकर (सावधान) रहा जाए ।

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