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Friday, July 24, 2009

जाट रे जाट

अरै ताऊ, ले..ल्ली ना एक और जान,तेरी खाप ने ,
पड़गी होगी ठंडक थारे सरपंचों के कलेज्जे में।
नाम रौशन कर दिया तैन्ने हरियाण्णे का ।
यूँ कहै... गोत्तर में ब्याह कोन्या ना होण देगा,
अरै मेरे जाट ताऊ, या... तो बता…; गोत्तर बणाये किस ने ,वो तेरे सुप्न्ये में आया था के, यूँ कहने को, के गोत्तर वाले सब भाई-बहन हों…उनका ब्याह ना होन दियो।
अरै ताऊ, तैने तो धरम को भी भरम में डाल दिया ,अर नेता क्यूँकर मुहं दिखायेंगे अब। बस , तू शर्म ना करियो ,जाट ही रहियो आदमी ना बण जईयो,आदमी बण ग्या तो दिमाग चाल्लेगा, अर दिमाग चला तो "ताई" भी बहन नजर आओगी। सोच ले ताई बहन नजर आगी तो फेर के करेगा । “ जाट रे जाट कै दूनी आठ, जाट बोला सोलैह दूनी आठ" वाली कहावत सुणी होगी तैने, इशे सही करने की सोच। पंचायत, न्याय करने को करें ,अन्याय को नहीं।

3 comments:

  1. शंकर फुलारा जी आप सही में टेंशन प्वाइंट हैं... आप ये कैसे कह सकते हैं कि एक कार्यक्रम जिसमें लोग सच कबूल कर रहे हैं... अपनी गंदगी.. अपनी ग़लती को मान रहे हैं... वो आपके घर में गंदगी फैला रहा है... ज़रा समझाएंगे किस तरह से गंदगी फैला रहा है... क्या ये कार्यक्रम देखकर आप भी किसी कम उम्र लड़की से सेक्स करने के लिए उतावले हो जाते हैं... या किसी और महिला से अवैध सम्बंध बनाने के लिए... या नाजायज़ औलाद पैदा करने के लिए प्रेरित होते हैं... किस तरह से गंदगी आपके घर में आ रही है... समझाइए ज़रूर..

    http://madhawtiwari.blogspot.com

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  2. jat stands 4

    just
    animal type

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  3. दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी है और हम हैं की अभी तक उसी आदम कालीन प्रथा में उलझे हुए हैं...कब बहर आयेंगे जात पात और गोत्र के चक्कर से? बहुत सच्ची पोस्ट है आपकी.
    नीरज

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