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Tuesday, June 9, 2009

महंगाई


बिजली और महँगी होगी
हाँ भई चुनाव में दिया चंदा बिजली कम्पनियों ने वसूलना जो है ।
इसी लिए तो निजीकरण किया गया था ।

अब विद्युत-व्यवस्था बड़ी-बड़ी निजी कम्पनियों के हाथों में है ।
और इन बड़ी-बड़ी निजी कम्पनियों के मालिकों ने पिछले दिनों जो लोकसभा चुनाव
हुए हैं,उसमे नेताओं और पार्टियों को चुनाव लड़ने के लिए चंदा दिया होगा,
जिसे अब वसूलना होगा ,तो क्यों न विद्युत दरें बढाई जायें ,
नेताओं ने कुछ बोलना
नहीं क्योंकि उनके चंदे से जीते हैं,(जो जीते हैं), और जो हारे हैं उनके न बोलने
के कई कारण हैं ,१.जनता ने वोट नहीं दिए, सो, गुस्से में हैं,२.जीते वाले इनकी सुनेंगे नहीं, कि तुम हारे हुए हो तुम्हें नैतिक(नेतागिरी का) अधिकार नहीं है ।
३.अफसरशाही ने मुह नहीं लगना चिल्लाते रहो.४ हारने वालों ने भी कुछ न कुछ इन कम्पनियों से लिया होगा ,अब उसके खिलाफ कैसे बोलें।
तो साहब ,बिजली महँगी होगी जो की पहले ही महँगी है। पहले ही मीटर भी तेज रेट भी तेज ।
जनता को बहकाने के लिए एक विद्युत नियामक आयोग बना है ,पर वह भी शायद
गंगा में हाथ धो चुका होगा ।
वैसे भी दूरसंचार की तरह इस क्षेत्र में प्रतिद्वंदिता कम है,अगर होती तो शायद टेलीफोन दरों की तरह इसमे भी महँगी नही सस्ती होनी चाहिए थी ,चलो सस्ती न हों तो कमसेकम बढती तो नहीं।

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