ताजा प्रविष्ठियां

Wednesday, May 6, 2009

हाल-ऐ-मुल्क

हाले मुल्क, क्या बयां करें दोस्तो,
बस ये समझ लो,
मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की।
असर, दवा का ख़त्म हो गया ,
बस ये समझ लो,
दवा भी दर्द का,सबब बन गई ।

अब तो हालात ऐसे नाजुक हैं दोस्तो,
बस ये समझ लो,
नशे की सूईयाँ हमारी जरुरत बन गई।
सय्याद फांसता है ज्यों, बुलबुले सैलाब को,
बस ये समझ लो,
हमारे हुक्मरानों की नीयत बन गई।
हाले मुल्क क्या बयां करें दोस्तो,
बस ये समझ लो,
मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की।

2 comments:

  1. हाले मुल्क क्या बयां करें दोस्तो,
    बस ये समझ लो,
    मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की।


    -बिल्कुल सही कहा!!

    ReplyDelete

हिन्दी में कमेंट्स लिखने के लिए साइड-बार में दिए गए लिंक का प्रयोग करें