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Tuesday, February 24, 2009

ऑस्कर

न्यूज चैनलों का (सप्ताह भर की कमाई),
जुगाड़ (नई व्यवस्था का फंडा
मेहनत रहमान की ऑस्कर हौलीवुड का
और कमाई हमारे न्यूज चैनलों की)।
एक और बात, "घर का जोगी जोग न आन गाँव का
सिद्ध",
जब तक विदेशी सम्मान न दें तब तक
कोई सम्मानित कैसे हो सकता है। विश्व सुंदरी
चुन कर सुन्दरता कैसी होती है हमें विदेशी ही
बताते हैं,हमारे यहाँ की सुन्दरता अनकल्चर्ड
होती है ,विद्वान कौन है हमें विदेशी ही बताते
हैं,हमारे यहाँ के विद्वान अंग्रेजी नहीं जानते
इसलिए कैसे विद्वान हो सकते हैं।
वरना इन्हीं रहमान साहब के कई गाने पहले ही
बहुत अच्छे लोकप्रिय हुए हैं।
जिन्हें आदमी
किसी भी समय गुनगुना सकता है ,जबकि
जयहो गाने के बोल ही बहुत कोशिश के बाद भी
समझ आने मुश्किल हो रहे हैं।
लेकिन ऑस्कर मिला है तो अच्छा ही होगा मुझे
संगीत की समझ है भी नहीं।
वैश्विक आर्थिक मंदी
में कुछ बड़ी वैश्विक कम्पनियों की भारत में
पाँव पसारने की कोशिश न हो यह ऑस्कर।
मेरा शक इसलिए भी है की जो फिल्में इससे पहले
ऑस्कर के लिए नामित हुयी हैं वह इससे इक्कीश
ही थी।
लेकिन किसी हौलीवुड वाले ने निर्देशित नहीं की थी ।

4 comments:

  1. स्लमडॉग को मिले आस्कर मीडिया की टीआरपी में जरूर फायदा करेंगे।

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  2. हां सही है....किसी के रूप और गुण को तो हम विदेशियों के कहने पर ही तो पहचानते आए हैं।

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  3. हाँ ये बात सही है की विश्व में मंदी भारत में चंगी विदेशी कम्पनियों को कोई रास्ता तो चाहिए ही आपका अंदेसा बिलकुल सही है की इन्ही रहमान और गुलजार साहब के कई गाने पहले ही काफी लोकप्रिय हैं हाँ ये बात सही है की विश्व में मंदी भारत में चंगी विदेशी कम्पनियों को कोई रास्ता तो चाहिए ही आपका अंदेसा बिलकुल सही है की इन्ही रहमान और गुलजार साहब के कई गाने पहले ही काफी लोकप्रिय हैं

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